लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री की पहल पर चलाये जा रहे जल शक्ति अभियान की सफलता के लिए कार्य कर रही है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में जल शक्ति विभाग का गठन किया गया है। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि शुद्ध जल की कमी होने के कारण हमें जल का दुरुपयोग हर हाल में रोकना होगा। साथ ही, जल संचयन भी सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा, भूगर्भ जल स्रोतों की समुचित और निरंतर रिचार्जिंग भी सुनिश्चित करनी होगी।

मुख्यमंत्री ने यह विचार आज आयोजित ‘मिशन पानी’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश के विभिन्न प्रदेशों में गम्भीर जल संकट उत्पन्न हो गया है। ऐसा वर्षा जल के सुनियोजित संचयन न होेने और भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन के कारण हो रहा है। संकुचित होते हुए वन क्षेत्र भी इसका मुख्य कारण हैं। इससे समय-समय पर सूखे के संकट भी खड़ा हो जाता है, जिससे कम वर्षा के कारण भूगर्भ जल तथा अन्य जल स्रोत जैसे तालाब, डैम, झीलें, नदियां सूखने लगते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार जल संकट की स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठा रही है। राज्य सरकार ने रेनवाॅटर हार्वेस्टिंग पर विशेष ध्यान देते हुए भवनों के नक्शे पास करने में इसकी व्यवस्था अपरिहार्य कर दी है। इसके बगैर भवनों के नक्शे पास नहीं होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंचाई के लिए हमें ड्रिप इरीगेशन और स्प्रिंकलर व्यवस्था अपनानी होगी, जिससे सिंचाई में जल के अधिकतम प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। गन्ने और धान की खेती में ड्रिप इरीगेशन का प्रयोग राज्य में सफल रहा है। इससे कम सिंचाई में अच्छी पैदावार ली जा सकती है। राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में खेत-तालाब योजना चलायी जा रही है, जिसके तहत खेतों में तालाब खुदवाये जा रहे हैं, ताकि इनमें बड़े पैमाने पर वर्षा जल संचित किया जा सके, जिसका उपयोग खेती में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में जल संचयन और भूगर्भ जल की रिचार्जिंग के उद्देश्य से ही केन्द्र सरकार द्वारा जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया है। जल की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हम सभी को जल स्रोतों जैसे तालाबों, पोखरों, कुओं, झीलों, नदियों इत्यादि में प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। स्पष्ट है कि जल समस्या का एकमात्र निदान प्रचुर मात्रा में जल संचयन और उपलब्ध जल का तर्कपूर्ण उपयोग ही है। इसमें हम सभी को अपना योगदान देना होगा, अन्यथा स्थिति काफी गम्भीर हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस समस्या की गम्भीरता को पहले ही पहचान लिया था और कहा था कि तीसरा विश्वयुद्ध जल के मुद्दे पर लड़ा जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संचयन और जल शक्ति जीवन को बचाने वाले कार्यक्रम हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर जल स्रोत प्रदूषित होते हैं। हमारा मानना है कि वन हैं तो जल है। इसी परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में वृक्षारोपण कराया जा रहा है, क्योंकि इससे वर्षा तो आकर्षित होती ही है, साथ ही, इससे भूगर्भ जल की रिचार्जिंग में भी मदद मिलती है। उन्हांेने कहा कि यह दोनों मुद्दे जल प्रदूषण और जल संचयन से सम्बन्धित हैं, इनमें जनसहभागिता अपेक्षित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जल संचयन और भूगर्भ जल स्रोतों की रिचार्जिंग को जनान्दोलन बनाएगी। उन्होंने न्यूज-18 को ‘मिशन पानी’ के माध्यम से लोगों को जल संचयन के प्रति जागरूक करने के लिए साधुवाद दिया।