नई दिल्ली: ‘आर्थिक क्षेत्र में दबाव के अप्रत्याशित’ होने से जुड़ी नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के बयान को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि यह ‘‘अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति’’ का कबूलनामा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि इस स्थिति से कैसे निपटा जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि सरकार अर्थव्यवस्था की इस स्थिति से ध्यान भटकाने के लिए राजनीतिक बदले की कार्रवाई कर रही है।

तिवारी ने कहा, ‘‘ नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को बधाई देनी चाहिए कि उन्होंने स्वीकार किया है कि अर्थव्यवस्था में ऐसी परिस्थिति 70 साल में कभी उत्पन्न नहीं है जो आज है।’’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘‘संभव है कि भाजपा सरकार इसके लिए भी पंडित जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराएगी। लेकिन हकीकत यह है कि सरकार ने यह स्थिति खुद ही पैदा की है क्योंकि नोटबंदी और जल्दबाजी में लागू गई जीएसटी के कारण यह स्थिति बनी है।’’

तिवारी ने कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि करीब तीन करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का खतरा है, वो किसी भी समय सड़क पर आ सकते हैं। अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्र दबाव में है। उन्होंने कहा, ‘‘ बिस्किट बनाने वाली कंपनी पार्ले 10 हजार लोगों की छंटनी करेगा। रुपया 72 के पार चला गया है। ऑटो क्षेत्र का संकट किसी से छिपा नहीं है। तीन लाख से अधिक लोग बेरोजगागर हो गए हैं। मारुति सुजुकी ने अपने उत्पादन में 25 फीसदी की कटौती कर दी है।’’

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और उनकी सरकार को नहीं मालूम है कि इस संकट का समाधान कैसे किया जाए । जब अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं तो प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री की तरफ से कोई बयान नहीं आया है क्योंकि उनके पास कोई जवाब नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप देख रहे हैं कि ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है, बदले की राजनीति हो रही है, पूरे देश में अघोषित आपातकाल है।’’ तिवारी ने कहा, ‘‘हमारी चिंता भारत के नौजवानों की है कि उन्हें कैसे रोजगार मिले। अब इस सरकार में जिन्हें रोजगार मिला हुआ है वो बेरोजगार हो रहे हैं।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या सरकार के पास कोई अर्थनीति है जिससे लोगों को बता सके कि वह अर्थव्यवस्था को कैसे संभालेगी?’’ गौरतलब है कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बृहस्पतिवार को वित्तीय क्षेत्र में दबाव को अप्रत्याशित बताया।

उन्होंने कहा था कि किसी ने भी पिछले 70 साल में ऐसी स्थिति का सामना नहीं किया जब पूरी वित्तीय प्रणाली में जोखिम है। कुमार ने कहा, ‘‘सरकार को ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों की आशंकाओं को दूर किया जा सके और वे निवेश के लिये प्रोत्साहित हों।’’