नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश के आर्थिक हालात को लेकर शुक्रवार (23 अगस्त) को प्रेस कांफ्रेंस की। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, ''वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर संशोधित होकर मौजूदा अनुमान 3.2 प्रतिशत से नीचे जा सकती है। वैश्विक मांग कमजोर रहेगी। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध तथा मुद्रा अवमूल्यन के चलते वैश्विक व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव वाली स्थिति पैदा हुई है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर कई देशों की तुलना में ऊंची है। संपत्ति का सृजन करने वालों का सम्मान वित्त वर्ष 2019-20 के बजट की मूल भावना है। इसके बाद विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों को समझने के लिये उनसे परामर्श किया गया। आर्थिक सुधार सरकार के एजेंडा में सबसे ऊपर है, सुधारों की प्रक्रिया जारी है, इसकी रफ्तार थमी नहीं है। कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) नियमों के उल्लंघन को दिवानी मामले की तरह देखा जाएगा, इसे आपराधिक मामलों की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा।

वित्तमंत्री ने करदाताओं का उत्पीड़न समाप्त करने से जुड़े कर सुधारों के बारे में कहा, अब सभी कर नोटिस केंद्रीयकृत प्रणाली से जारी होंगे। वित्त मंत्री ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर बढ़ाए गए अधिभार को वापस लेने और बजट पूर्व की स्थिति बहाल करने की घोषणा की। सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शुरुआती दौर में ही 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी ताकि बैंक बाजार में पांच लाख करोड़ रुपये तक की नकदी जारी करने में सक्षम हो सकें। छोटे एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के अब तक के सभी लंबित जीएसटी रिफंड का भुगतान 30 दिन के भीतर कर दिया जाएगा ; भविष्य के रिफंड मामलों को 60 दिन के भीतर निपटा दिया जाएगा''