नई दिल्ली: कारों की लगातार घटती बिक्री ने ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़े संकट में डाल दिया है। कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और ऑटो कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों में लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और अगले तिमाही में हालात और खराब होने की आशंका है। दरअसल, अब नौकरियां जाने का खतरा फ्रंट एंड सेल्स जॉब, वेल्डिंग, कास्टिंग, प्रोडक्शन टेक्नॉलजी और सर्विस से जुड़े सेक्टरों में भी बढ़ गई है।

अंग्रेजी अखबार इकॉनमिक टाइम्स ने ऑटोमोटिव कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) के डायरेक्टर जनरल विनी मेहता के हवाले से बताया कि बीते कुछ महीनों में गाड़ियों के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों में 1 लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। उनके मुताबिक, अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो अगले 3 से 4 महीनों में 10 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं।

रिक्रूटमेंट कंपनी Xpheno और टीमलीज को अंदेशा है कि आने वाली तिमाही में 5 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। टीमलीज सर्विसेज की को फाउंडर रितुपर्णा चक्रवर्ती ने बताया कि प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब में तो नौकरियां जा रही रही हैं, बल्कि हर कंपनी में कम से कम 10 प्रतिशत छंटनी हो रही है।

मेहता के मुताबिक, सबसे ज्यादा नुकसान 400 करोड़ रुपये सालाना से कम टर्नओवर वाली कंपनियों को पहुंचा है। उन्होंने बताया कि इस सेक्टर में करीब 50 लाख लोगों के पास नौकरियां हैं और यहां से करीब 15 बिलियन डॉलर के कलपुर्जे का निर्यात होता है। कुशल कामगार और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले लोगों, दोनों की ही नौकरियां गई हैं।

जानकारों के मुताबिक, ऑटो सेक्टर में स्लोडाउन की शुरुआत पिछले साल त्योहारों के सीजन में सितंबर में हुई। इस मंदी की वजह से कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उदाहरण के तौर पर मशहूर कॉम्पोनेंट्स मेकर मिंडा इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने नई हायरिंग पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, ऑपरेशनल कॉस्ट और दूसरे खर्चों पर भी लगाम कसी गई है।

कंपनी के मुताबिक, फिलहाल काम कर रहे लोगों को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। अगर हालात खराब होते हैं तो पहले गाज कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले लोगों पर गिरेगी। इस कंपनी में 20 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं, जिनमें से 5000 कॉन्ट्रैक्ट पर हैं।