नई दिल्ली: टाटा समूह की कंपनी स्टील अर्थव्यवस्था में नरमी के मद्देनजर 2019-20 के लिये तय पूंजीगत खर्च में कटौती कर सकती है। कंपनी ने शनिवार को कहा कि वह 2019-20 के लिये पूंजीगत खर्च को 12 हजार करोड़ रुपये से घटाकर आठ हजार करोड़ रुपये कर सकती है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक टी.वी.नरेंद्रन ने कहा, ‘‘हमने कामकाज के सिलसिले में जो आगे के लिये मार्गदर्शन किया है उसके मुताबिक भारत और यूरोप के बीच परिचालन में पूंजीगत खर्च वास्तविक योजना के मुकाबले 20 से 25 प्रतिशत कम होगा। हमारा मूल आकलन टाटा स्टील समूह के लिये 12 हजार करोड़ रुपये था, यह अब करीब आठ हजार करोड़ रुपये होगा।’’

कंपनी की योजना पहले के 12 हजार करोड़ रुपये में से आठ हजार करोड़ रुपये भारतीय परिचालन पर खर्च करने की थी। उन्होंने यहां कंपनी के खुदरा इस्पात स्टोर ‘स्टीलजंक्शन’ की शुरुआत करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘दोनों जगहों (भारत और यूरोप) के खर्च में कमी की जाएगी।’’ नरेन्द्रन ने यह भी कहा कि भारत में होने वाला उसका पूंजीगत खर्च का बड़ा हिस्सा कंपनी के ओडिशा स्थित कलिंगनगर संयंत्र में किया जायेगा।

टाटा स्टील के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि स्टील उद्योग को चक्रीय प्रकृति से बचाने के लिए, कंपनी ब्रांडेड उपभोक्ता व्यवसाय और डाउनस्ट्रीम उत्पाद पोर्टफोलियो को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उन्होंने कहा “आज बी 2 सी व्यवसाय हमारे राजस्व का लगभग 15 प्रतिशत है। हमने लक्ष्य रखा है कि बी 2 सी, सेवाओं और समाधान व्यापार को 30 प्रतिशत (अगले पांच वर्षों में) योगदान करना चाहिए।” दक्षिण-पूर्व एशिया व्यापार पर, उन्होंने कहा कि कंपनी ने सिनर्जी समूह के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो “हमारी थाईलैंड संपत्ति में रुचि रखता है”।