नई दिल्ली: देश के अधिकांश एलोपैथ की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर झोलाछाप हैं। यह जानकारी 6 अगस्त को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के जरिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दी। राष्ट्रीय मेडिकल आयोग विधयेक पर पूछे जाने वाले सवालों पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टरों की उपलब्धता में काफी अंतर है। ऐसे में ग्रामीण भारत की अधिकांश आबादी झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में है। देश में एलोपैथी की प्रैक्टिस करने वाले 57.3 फीसदी डॉक्टरों के पास योग्यता ही नहीं है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2016 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में काम करने वाले 57.3% मेडिकल की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर झोलाछाप हैं और उनके पास कोई मेडिकल से संबंधित डिग्री नहीं है।

गौरतलब है कि उस दौरान तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस रिपोर्ट को बकवास करार दिया था। उन्होंने 2018 में लोकसभा में रिपोर्ट को गलत करार दिया था। लेकिन, अब इस डाटा पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक रजामंदी दे दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 57.3 फीसदी डॉक्टरों के पास मेडिकल से संबंधित को भी शैक्षणिक योग्यता नहीं है। WHO ने 2001 की जनगणना के आधार पर अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण इलाकों में 20 फीसदी बिना डिग्री वाले डॉक्टर लोगों का इलाज कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी बताया कि करीब 31% झोलाछाप डॉक्टर ऐसे हैं जिन्होंने सिर्फ 12वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है।

अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में डॉक्टरों को लेकर काफी असामांजस्य वाली स्थिति है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया है कि ग्रामीण इलाकों और गरीब आबादी के बीच बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। ऐसे में झोलाझाप डॉक्टरों की भरमार है।