लखनऊ: “उन्नाव कांड के दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका की न्यायिक जांच हो.”- यह बात आज एस आर दारापुरी, पूर्व आई जी एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता, आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रेस को जारी ब्यान में कही है. उन्होंने कहा है कि उन्नाव के बलात्कार एवं हत्या के मामले में शुरू से ही पुलिस की आरोपी सेंगर के साथ सांठ गाँठ रही है. इसी कारण से 2017 में बलातकार की शिकार लड़की जब थाना बांगर मऊ पर प्रथम सूचना दर्ज कराने गयी तो उसे दर्ज नहीं किया गया. पुलिस का यह कृत्य न केवल अपने कर्तव्य की अवहेलना है बल्कि आईपीसी की धारा 166 A के अंतर्गत दंडनीय अपराध है. बाद में उन्हीं पुलिस अधिकारियों ने पीड़िता के पिता को ज़ख़्मी हालत में असलहां लगा कर फर्जी केस में जेल भेजा जहाँ पर उसकी मृत्यु हो गयी. इसके लिए स्थानीय पुलिस अधिकारियों तथा सेंगर के विरुद्ध हत्या, फर्जी केस में फंसाने तथा आरोपी के साथ षड्यंत्र करने का केस दर्ज करके कार्रवाही होनी चाहिए. शायद सीबीआई इस मामले की विवेचना कर रही है. इसके बाद पीडिता के परिवार द्वारा आरोपी पक्ष द्वारा लगातार जान माल की धमकियाँ दिए जाने पर सुरक्षा हेतु 35 प्रार्थना पत्र स्थानीय पुलिस अधीक्षक तथा अन्य उच्च अधिकारियों को दिए गए परन्तु उन पर कोई भी कार्रवाही नहीं की गयी. इस अपराधिक लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाही की जानी चाहिए. इसी प्रकार इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश से पीडिता के परिवार की रक्षा हेतु लगाये गए पुलिस कर्मचारियों द्वारा उनकी सुरक्षा न करके उनकी जासूसी करके आरोपी पक्ष को सूचनाएं देने का आरोप भी है जिसकी जांच करके उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाही होनी चाहिए. दिनांक 28 जुलाई को जब पीडिता का परिवार रायबरेली कार द्वारा जा रहा था तो उनके साथ कोई भी सुरक्षा कर्मी नहीं थे. यह भी उक्त कर्चारियों की लापरवाही अथवा अपराधिक षड्यंत्र का प्रतीक है.

इन परिस्तिथियों से स्पष्ट है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस की आरोपियों से पूरी सांठ गाँठ रही है और उन द्वारा विधि की खुली अवज्ञा की गयी है जोकि अपराधिक कृत्य है. अतः आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट मांग करता है कि इस मामले में पुलिस की भूमिका की न्यायिक जांच हो तथा उन्हें विधिक कर्तव्य की अवज्ञा करने के लिए केस दर्ज करके दण्डित किया जाए.