नई दिल्ली : वाहन कलपुर्जा उद्योग से बड़ी संख्या में नौकरियां जा सकती हैं. यह दावा वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं के अखिल भारतीय संगठन एक्मा ने किया है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) के अध्यक्ष राम वेंकटरमानी ने कहा कि, ‘वाहन उद्योग अभूतपूर्व मंदी का सामना कर रहा है. हर श्रेणी में वाहनों की बिक्री पिछले कई महीनों से भारी दबाव का सामना कर रही है.' उन्होंने कहा कि वाहन कलपुर्जा उद्योग की वृद्धि पूरी तरह से वाहन उद्योग पर निर्भर करती है. मौजूदा स्थिति में वाहन उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की कटौती हुई है जिससे कलपुर्जा उद्योग के सामने संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने कहा, ‘यदि यही रुख जारी रहता है तो करीब 10 लाख लोग बेरोजगार हो सकते हैं.' वेंकटरमानी ने कहा कि कुछ स्थानों पर छंटनी का काम शुरू भी हो चुका है.

आपको बता दें कि एक्मा ने वाहन क्षेत्र के लिए माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर एक समान 18 प्रतिशत करने का अनुरोध किया है, ताकि पूरे वाहन उद्योग में मांग को बढ़ाया जा सके जिससे करीब 10 लाख नौकरियां बचाने में मदद मिलेगी. अभी वाहन बिक्री में लगातार मंदी रहने की वजह से यह नौकरियां दांव पर लगी हैं. वाहन कलपुर्जा उद्योग करीब 50 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है. एक्मा ने बैटरी चालित वाहनों की नीति को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है. बता दें कि जीएसटी प्रणाली के तहत पहले से ही करीब 70 प्रतिशत वाहन कलपुर्जों पर 18 प्रतिशत की दर से कर लग रहा है. जबकि बाकी बचे 30 प्रतिशत पर 28 प्रतिशत जीएसटी है. इसके अलावा वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ उनकी लंबाई, इंजन के आकार और प्रकार के आधार पर एक से 15 प्रतिशत का उपकर भी लग रहा है.

एक्मा के अध्यक्ष राम वेंकटरमानी ने कहा कहा कि मांग में कमी, भारत स्टेज-4 से भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानकों के लिए हाल में किए गए निवेश, ई-वाहन नीति को लेकर अस्पष्टता से वाहन उद्योग का भविष्य अनिश्चित दिख रहा है और इस वजह से भविष्य के सभी निवेश रुक गए हैं. उन्होंने कहा ‘सरकार की ओर से तत्काल हस्तक्षेप किए जाने की जरूरत है. हमारी ठोस मांग है कि वाहन और वाहन कलपुर्जा क्षेत्र को 18 प्रतिशत जीएसटी दर के दायरे में लाया जाएगा.' संगठन ने इसके अलावा स्थिर इलेक्ट्रिक वाहन नीति की जरूरत बतायी