नई दिल्ली: भारत की तीन बड़ी पार्टियों से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन सकता है. हालिया, लोकसभा चुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाने की स्थिति में इनके राष्ट्रीय पार्टी होने के दर्जे पर खतरा मंडरा रहा है. पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इलेक्शन कमीशन इन पार्टियों को 'कारण बताओ नोटिस' जारी कर सकती है. इन पार्टियों से पूछा जायेगा कि हालिया प्रदर्शन को देखते हुए आपके राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों नहीं वापस ले लिया जाए?

सीपीआई, बीएसपी और एनसीपी पर 2014 के चुनाव में भी खराब प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय पार्टी का तमगा छिनने का खतरा मंडराया था. लेकिन 2016 में चुनाव आयोग ने अपने नियमों में संशोधन कर दिया था जिसके बाद इन पार्टियों को राहत मिली थी. पहले राष्ट्रीय पार्टी होने की समीक्षा 5 वर्ष में होती थी अब यह 10 वर्षों में होती है.

बहुजन समाजवादी पार्टी के फिलहाल 10 सांसद हैं और कुछ विधायक भी हैं ऐसे में उसके ऊपर खतरा अभी टल गया है. किसी राजनीतिक दल को तब राष्ट्रीय स्तर का दल माना जाता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करें. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को इस बार पूरे देश में मात्र 2 सीटों पर जीत हासिल हुई है.

इसके अलावा लोकसभा में उसके कम से कम चार सांसद हों. राष्ट्रीय पार्टी के पास कुल लोकसभा सीटों की कम से कम दो प्रतिशत सीट भी होनी चाहिए और इसके उम्मीदवार कम से कम तीन राज्यों से आने चाहिए. ममता बनर्जी की पार्टी को लोकसभा चुनाव में 22 सीटें मिली हैं लेकिन बंगाल के बाहर पार्टी राष्ट्रीय पार्टी होने की शर्तों को पूरा नहीं कर पायी.