लंदन: आईसीसी विश्व कप जीतने के बाद इंग्लैंड की क्रिकेट टीम जल्दी ही मैदान पर उतरने जा रही है. वह वनडे की बजाय टेस्ट क्रिकेट से अपने अभियान की शुरुआत करेगी. एक अगस्त से इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच दुनिया की सबसे पुरानी टेस्ट सीरीज (एशेज) शुरू हो रही है. दिलचस्प बात यह है कि इस सीरीज में एक नया नियम देखने को मिल सकता है. यह नियम सिर में चोट लगने पर उस खिलाड़ी के स्थान पर सबस्टीट्यूट खिलाड़ी को मंजूरी देने का है.

वेबसाइट क्रिकइंफो की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां जारी आईसीसी की वार्षिक बैठक में इस नियम को लाए जाने पर चर्चा चल रही है. उम्मीद है कि इस नियम को मंजूरी मिल जाएगी और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा ताकि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के तहत खेले जाने वाले सभी मैचों में इस नियम का इस्तेमाल किया जा सके और खिलाड़ी को सुरक्षा मिल सके.

इस नियम को लाने की बात ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज फिलिप ह्यूज के सिर पर गेंद लगने से हुई मौत के बाद से चल रही थी. ह्यूज को 2014 में लिस्ट-ए मैच में बाउंसर लग गई थी जिसके कुछ दिनों बाद उनका निधन हो गया था. इस घटना के बाद क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने घरेलू सर्किट में पुरुष और महिला टूर्नामेंट्स में इस नियम को लागू किया था. यह नियम हालांकि ऑस्ट्रेलिया के शेफील्ड शील्ड में लागू नहीं हुआ था. अक्टूबर-2017 में आईसीसी ने घरेलू क्रिकेट में इस नियम को लेकर दो दिन की ट्रायल की थी.

सीए के बाद हालिया दौर में इस नियम को लाने के लिए कई आवाजें उठी थीं. सीए ने नियम बनाया था कि अगर डॉक्टर ने कहा है तो खिलाड़ी मैदान छोड़ सकता है या अगर खिलाड़ी आघात की स्थिति में है तो भी वह मैदान से जा सकता है. हाल ही में खत्म हुए विश्व कप में भी आघात के लक्षण को लेकर जानकारी बढ़ाने के काफी प्रयास किए गए थे. हर टीम ने अपना एक मेडिकल प्रतिनिधि नामांकित किया था और मैच के दिन एक स्वतंत्र डॉक्टर भी समर्थन के लिए नियुक्त किया गया था.