नई दिल्ली। अब इसे पाकिस्तान की कोई चाल कहें या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई ये आने वाला समय बतायेगा। लेकिन जमात उद दावा सरगना हाफिज सईद को टेरर फंडिंग केस में काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट ने गिरफ्तार किया है। हाफिज सईद की गिरफ्तारी उस वक्त की गई जब वो लाहौर से गुंजरावाला जा रहा था। हाफिज सईद की गिरफ्तारी के पीछे असली वजह क्या है, अभी ये रहस्य है। सवाल ये है कि क्या इमरान खान 21 जुलाई को अमेरिका जाने से पहले अमेरिका का बताना चाहते कि पाकिस्तान आतंकी संगठनों को लेकर कितना गंभीर है।

पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक हाफिज सईद के खिलाफ 2008 में टेरर फंडिंग का केस दर्ज किया गया था और उसी सिलसिले में उसकी गिरफ्तारी की गई है। ये बात अलग है कि हाफिज की गिरफ्तारी पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि पाकिस्तान की इस कार्रवाई पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

मुंबई हमलों में सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम ने हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, पूरी दुनिया को मुर्ख बना रहा है। हमें ये देखना होगा कि अदालत में पाकिस्तान किस तरह से उसके खिलाफ साक्ष्य रखता है और उसे सजा दिलाने के लिए कितनी गंभीरता से काम करता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पाकिस्तान की कार्रवाई किसी ड्रामे से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

जमात-उत दावा (पहले लश्कर-ए तैयबा) का सरगना हाफिज सईद कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में जुटा और बाद में वो भारत के खिलाफ सीधे तौर पर क्षद्म युद्ध में जुट गया। पाकिस्तान की मस्जिदों में वो भारत के खिलाफ तकरीरें किया करता था। लेकिन 2008 में मुंबई को जब आतंकियों ने निशाना बनाया तो हाफिज का नाम सीधे तौर पर आया। हाफिज के खिलाफ भारत सरकार की तरफ से तमाम दस्तावेज दिए गए। लेकिन पाकिस्तान उन साक्ष्यों को मानने से इंकार करता रहा।

हाफिज के मुद्दे पर भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पूरजोर तरीके से उठाती रही और 2014 में इस मामले में बड़ी कामयाबी मिली। अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के साथ पाकिस्तान से स्पष्ट कहा कि अब सईद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ये बात अलग है कि पाकिस्तान की तरफ से टालमटौल देखने को मिला।