नई दिल्ली : देश भर के शहरों के साथ-साथ हर गांव तक करीब-करीब बिजली पहुंचाई जा चुकी है। कई राज्य अपने उपभोक्ताओं को बिजली पर सब्सिडी भी दे रही है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार 400 यूनिट तक बिजली बिल आने पर उनमें 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है। कई अन्य प्रदेशों में भी गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों को फ्री या सब्सिडी में बिजली दी जा रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फ्री में बिजली नहीं मिलेगी। अब इसके लिए पहले पैसा जमा करना होगा।

मोदी सरकार के ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत सरकार नया सिस्टम लाने जा रही है। इसमें बिजली उपभोक्ता को पहले पैसे देने होंगे उसके बाद उन्हें बिजली मिलेगी। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश समाज के कुछ वर्गों को फ्री बिजली दे सकते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए अपने बजट से भुगतान करना होगा। उन्होंने कहा, 'यही हम करने जा रहे हैं। हम भुगतान और आपूर्ति के बीच एक संपर्क बना रहे हैं। आपको पहले पैसे देने होंगे और फिर आपको बिजली मिलेगी। फ्री बिजली जैसी कोई चीज नहीं है। आप बिना निवेश के बिजली का उत्पादन नहीं कर सकते हैं।' उन्होंने कहा कि बिजली बनाने में लागत आती है और किसी को इसके लिए भुगतान करना पड़ता है। अगर आप फ्री बिजली देना चाहते हैं तो दीजिए, लेकिन आपको (प्रदेशों को) इसके लिए अपने बजट से भुगतान करना होगा। यही हम करने जा रहे हैं।

इसस पहले उन्होंने रविवार कहा था कि 2014 के पहले कई लोग जिनके घरों में बिजली नहीं थी, वे सोचते थे कि क्या उनके घर में कभी बिजली आएगी। अब इन वंचित लोगों के घरों में बिजली है। साथ ही उन्होंने कहा था कि केंद्र का लक्ष्य एक देश, एक ग्रिड कायम करना और लोड शेडिंग के मामले में उपभोक्ताओं के नुकसान की भरपाई करना है। केंद्रीय मंत्री सिंह ने ब्योरा दिए बिना कहा, लोड शेडिंग होने पर सरकार (उपभोक्ताओं को) नुकसान की भरपाई करेगी।' लोड शेडिंग का मतलब जरूरत के हिसाब से बिजली आपूर्ति नहीं होने पर सभी जगह कुछ-कुछ घंटों के लिए काटकर बिजली सप्लाई करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार 'एक देश, एक ग्रिड' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ढांचागत सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगी।