नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, 'हम शिक्षण संस्थान और सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए मराठा के आरक्षण को समाप्त करने की अपील पर सुनवाई करेंगे।' सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले में दायर अपील पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा मराठा लोगों को आरक्षण देने और बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने के फैसले को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है।

मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि सरकार ने 2014 से पूर्वव्यापी प्रभाव के साथ आरक्षण नीति को अधिसूचित किया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को बरकरार रखा है, लेकिन राज्य विधानसभा द्वारा निर्धारित आरक्षण की मात्रा 16% से घटाकर 12-13% कर दी है। महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 64-65% आरक्षण है, तमिलनाडु के बाद ये दूसरा है, जहां 69% है।

गुरुवार को महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार ने मराठा समुदाय के लिए पूर्व प्रभावी तौर से शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने के आदेश जारी किए। मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक सरकारी प्रस्ताव में कहा गया है कि आरक्षण 2014 से लागू किया जाएगा।

27 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग (SEBC) के रूप में वर्गीकृत करके राज्य सरकार द्वारा समुदाय को दिया गया आरक्षण मान्य है। अदालत के आदेश के आधार पर सरकारी नौकरियों में भर्ती में 13 फीसदी और शैक्षणिक संस्थानों में सभी सीटों के 12 फीसदी पदों को समुदाय के लिए आरक्षित किया गया है।

मराठा समुदाय को 2014 से पूर्व प्रभावी तौर पर आरक्षण देने के कदम को सही ठहराते हुए देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने गुरुवार को तर्क दिया कि मराठों को 16 प्रतिशत आरक्षण देने वाला अध्यादेश मूल रूप से 9 जुलाई, 2014 को पिछली कांग्रेस-एनसीपी शासन द्वारा जारी किया गया था। लेकिन 14 नवंबर, 2014 को हाई कोर्ट इस अध्यादेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा था और उस पर ने रोक लगा दी गई थी।