लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। बीजेपी सरकार के इस फैसले को सपा-बसपा के काट और एसबीएसपी की भरपाई के तौर पर देखा जा रहा है। इन 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल किए जाने के लिए पहले भी कोशिशें की गई हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ ने अहम वक्त पर इसका आदेश देकर मास्टर स्ट्रोक खेला है।
प्रदेश सरकार ने जिन 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया है उसमें निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ शामिल हैं। माना जाता है कि सूबे में इनकी आबादी करीब 14 प्रतिशत है। अब इन्हें अनूसूचित जाति का सर्टिफिकेट मिलेगा तो बीजेपी को इसका चुनावी फायदा मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा की 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी इस मुद्दे का इस्तेमाल करेगी। लेकिन यह दोधारी तलवार की तरह है। 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का चुनावी फायदा तो मिलेगा लेकिन इससे पहले से अनुसूचित जाति में शामिल जातियां नाराज हो सकती हैं। यही वजह है कि बीजेपी ने कोर्ट के रोक हटने के बाद आदेश तो जारी कर दिए लेकिन खुलकर इसका क्रेडिट नहीं ले पा रही।
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