लखनऊ। अन्तर्राष्ट्रीय यातना विरोधी दिवस व यातना के शिकार पीड़ितों को सबल बनाने के लिए संकल्प दिवस के अवसर पर ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम के तत्वावधान में प्रतिरोध सभा कर मानव श्रृंखला हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा के पास बनाया गया।

जिसमे बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्त्ता, अधिवक्ता, बुध्दिजीवी तथा पीड़ित व वंचित समुदाय के लोग शामिल हुए। उपस्थित जनसमूह ने एक स्वर में अंतर्राष्ट्रीय यातना मुक्ति दिवस-26 जून पर राज्य सभा में लंबित यातना विरोधी बिल को पास कराये जाने की मांग किया। और यातना मुक्त भारत बनाने के लिए संसद में लंबित बिल को पास करने सहित पांच सूत्री मांगों का प्रधानमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि को सौंपा।

प्रतिरोध सभा में बोलते हुए ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम के सचिव अमित अम्बेडकर ने कहा कि समाज में मानव अधिकार संरक्षण के लिये पूरे विश्व में यातना की मुक्ति हेतु 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय यातना मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है!यह दिन यातना के शिकार पीडि़तों के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि हमारा फोरम यातना मुक्त भारत के निर्माण हेतु संघर्ष कर रहा है। केन्द्र व राज्य सरकार को यातना विरोधी क़ानून बनाकर जिम्मेदारों जवाबदेह एवं संवेदनशील बनाया जाना चाहिये। भारत सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT) के चार्टर पर हस्ताक्षर तो किया गया है, किन्तु “यातना विरोधी बिल” राज्य सभा में लम्बित है। जिसके कारण भारत में यातना के विभिन्न रूप से हमारा देश पीड़ित है। तथा यातना के रोकथाम व पीडि़तों के पुनर्वास का कोई उचित व प्रभावशाली नीति-नियम न होना हमारे सभ्य समाज पर प्रश्नचिह्न है।

उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों से अपील करते हुए कहा की यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT/PTB) क़ानून को भारत में अविलम्ब लागू कराने में उन्हें अपनी अहम भूमिका अदा करनी चाहिये!

एडवोकेट वीरेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि आज जरूरत है कि हमें अन्याय व अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हमें हर प्रकार के शोषण से मुक्ति व समानता के आधार पर गरिमापूर्ण जीवन जीने की आजादी देता है इसलिए हमें अपने अधिकारों के बारे मे जानना और हर प्रकार के यातना के खिलाफ संघर्ष करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोग है, हम यातना के शिकार पीड़ितों के पक्ष में खड़े है और हर प्रकार की यातना से मुक्त भारत बनाने के लिए संकल्पित है।

वक्ताओं ने कहा कि आज का यह दिवस उद्देश्य यातना के अपराध के खिलाफ बात करने और दुनिया भर में पीड़ितों और बचे लोगों का सम्मान और समर्थन करना है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों, नागरिक समाज और व्यक्तियों सहित सभी हितधारकों से अपील करने का अवसर है जो दुनिया भर के सैकड़ों हजारों लोगों के समर्थन में एकजुट हो गए हैं, जो यातना के पीड़ित हैं और जो आज भी पीड़ित हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता अंशुमान सिंह ने कहा कि दुनियाभर में लोकतांत्रिक मानवीय क़ानून एवं संविधान के प्रति सरकार को जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से यातना विरोधी कन्वेंशन (UNCAT) क़ानून को यू०एन० द्वारा सभी देशों के लिए अनिवार्य किया गया है। जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किया है।लेकिन यह बिल अभी भी राज्य सभा में लंबित है, जिस पर हम सभी की मांग है कि उसे अविलम्ब पास कर लागू किया जाए।

फोरम के सदस्य सुरेश भारती ने आम जनमानस के ऊपर बढ़ते मानवाधिकार हनन की घटनाओं की रोकथाम में यातना विरोधी विधेयक को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि समाज के सभी वर्ग के बुद्धिजीवियो के साझा प्रयास से एक सामूहिक जागरूकता अभियान व अपील कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें हम सभी लोगो को अपनी अहम भूमिका निभाने की जरूरत है जिससे ये सन्देश आम आदमी तक पहुच सके और सरकार पर दबाव बने और क़ानून के अंतर्गत यातना के विभिन्न खतरनाक रूपों को समाप्त कर मानवाधिकार संपन्न समाज का निर्माण किया जा जा सके।

मानव श्रृखला में सैकड़ों लोग अपने हाथों में मांगपट्टिका लिये हुए नारे लगा रहे थे – स्टाप टार्चर, से नो टू टार्चर, पुलिस यातना अपराध है, पुलिस यातना बंद करो। धन्यवाद ज्ञापन मानव ह्यूमन राइट्स मानिटरिंग फोरम की सदस्या सोनी देबी ने किया।

कार्यक्रम में फोरम की सदस्या कुमारी शान्ति, पीपुल्स फोरम, लखनऊ के वरिष्ठ सदस्य के के शुक्ला, सामाजिक कार्यकर्ता रामकिशोर, सामाजिक क्रय्क्र्ती माधुरी चौहान,सुखबीर सोनी, मटरू प्रसाद,रमेश,राजू सहित अन्य लोगों ने भी अपनी बात रखी।