लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल ने
प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि भाजपा की योगी सरकार अध्यादेश के
जरिये निजी विश्वविद्यालयों को अपनी विचारधारा के नियंत्रण में लेना चाहती है।
प्राइवेट विश्वविद्यालय अध्यादेश लाये जाने का मुख्य मकसद यही प्रतीत होता है।
यह अध्यादेश विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता और स्वायत्त्ता पर भी एक तरह का
हमला होगा। योगी सरकार इन विश्वविद्यालयों में अपने प्रतिनिधियों को नियुक्त
करके अपनी मर्जी थोपने का प्रयास करेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि यह अध्यादेश एण्टी नेशनल गतिविधियों पर रोक
लगाने के लिए लाया गया है। परन्तु सवाल उठता है कि एण्टी नेशनल गतिविधियों के
लिए जो कानून पहले से मौजूद हैं, वे विश्वविद्यालयों के अंदर भी लागू होते हैं
और उनके आधार पर कार्यवाही की जा सकती है। फिर अलग से अध्यादेश लाने की क्या
जरूरत है? एण्टी नेशनल गतिविधियों को अध्यादेश में स्पष्ट तरीके से परिभाषित
भी नहीं किया गया है। इस बात की पूरी गंुजाइश है कि सरकार अपने हिसाब से जिसे
चाहे एण्टी नेशनल घोषित करके उसके खिलाफ कार्यवाही करेगी।
माकपा राज्य सचिव मण्डल ने कहा है कि अध्यादेश के पीछे भाजपा आरएसएस का छिपा
हुआ एजेण्डा है। जिसके तहत वे अपनी विचारधारा से असहमति रखने वाले या विरोध
करने वाले को एण्टी नेशनल घोषित कर उसके खिलाफ कार्यवाही कर सकते हैं।