लखनऊ: भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर राजस्थान ने कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूपी के युवाओं की ओर ध्यान केंद्रित किया है | BSDU अत्याधुनिक सुविधाओं के माध्यम से मशीन लर्निंग स्किल्स प्रदान करता है|

बीएसडीयू के कुलपति डॉ (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने पत्रकार वार्ता में कौशल विकास की वर्तमान स्थिति के बारे में चर्चा की| उन्होंने बताया कि आज प्रत्येक संगठन प्रशिक्षित कर्मचारी को नियुक्त करना चाहता है। आज की दुनिया कुछ पेशेवर कैरियर विकल्पों के इर्द-गिर्द घूम रही है, जो प्रासंगिक होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी हैं, जैसे प्रबंधन, प्रशासनिक, लेखा, तकनीकी आदि। ऐसे कार्यात्मक क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण कभी भी पूर्वनिर्धारित नहीं होता है। हमने बीएसडीयू में प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाए हैं जो छात्रों को मशीन लर्निंग और फंक्शन लर्निंग की सभी प्रक्रियाओं से गुजरने में सक्षम बनाते हैं। बी. वोक. और एम. वोक. जैसे पाठ्यक्रमों को ही भविष्य की डिग्री माना जाना चाहिए, क्योंकि इनके माध्यम से ही हम ऐसे ग्रेजुएट छात्र तैयार कर पाएंगे, जिन्हें सामान्य शिक्षा सामग्री के अलावा उनके द्वारा चुने गए कौशल क्षेत्रों में मजबूत कौशल ज्ञान और अनुभव हासिल होगा। जाहिर है कि उनकी रोजगार हासिल करने की क्षमता भी बहुत व्यापक होगी और इस तरह देश में बेरोजगारी दर को बहुत कम करने में सहायता मिलेगी।”

डॉ पाब्ला ने कहा ‘‘हम आज के युवाओं में कौशल संबंधी कमी को दूर करने के लिए अपने ‘स्विस ड्यूअल एजुकेशन सिस्टम‘ के साथ सर्वोत्तम सलाह और समर्थन प्रदान करके राज्य सरकार की मदद करना चाहते हैं। हमने हाल ही में झारखंड सरकार और राजस्थान सरकार को भी इस क्षेत्र में अपना समर्थन दिया है।‘‘

अपने ‘स्विस ड्यूअल एजुकेशन सिस्टम‘ के साथ देश का पहला असली कौशल विश्वविद्यालय- भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) देश में अपनी स्थापना के बाद से ही सरकार की योजना की वकालत करते हुए युवाओं को हाई एंड स्किल्स में प्रशिक्षित करने में जुटा हुआ है। 2016 में स्थापित इस विश्वविद्यालय का विजन कौशल विकास के क्षेत्र में वैश्विक उत्कृष्टता पैदा करना है ताकि भारतीय युवाओं की प्रतिभाओं के विकास के लिए अवसर, स्थान और गुंजाइश बनाई जा सके और उन्हें वैश्विक रूप से फिट बनाया जा सके। बीएसडीयू न केवल शैक्षणिक, बल्कि सरकार की योजनाओं को औद्योगिक समर्थन भी प्रदान कर रहा है।

डॉ पाब्ला ने बताया, बी.वोक. कार्यक्रम की संरचना माड्यूलर रूप में की गई है। इसमें सर्टिफिकेट (6 माह के बाद), डिप्लोमा (1 वर्ष के बाद), एडवांस्ड डिप्लोमा (2 वर्ष के बाद) और बी.वोक. (3 वर्ष के बाद) के दौरान अनेक एंट्री और एक्जिट प्वाइंट हैं। छात्रों को हर वैकल्पिक सेमेस्टर में औद्योगिक इंटर्नशिप के लिए भेजा जाता है। यह उन्हें तीन साल के बी. वोक. कार्यक्रम के दौरान 18 महीने का औद्योगिक अनुभव देता है। इस प्रकार छात्र हर एक्जिट लेवल पर इंडस्ट्री के लिए तैयार होता है। इंटर्नशिप के दौरान ‘सीखें और कमाएं‘ सिस्टम के तहत छात्रों को 7000 रुपए से लेकर 15000 रुपए प्रति माह तक का स्टाइपेंड मिलता है। साथ ही, कई छात्रों को उन कंपनियों द्वारा नियमित रोजगार की पेशकश की जाती है जहां वे इंटर्नशिप के लिए जाते हैं। वे बहुत ही कम उम्र में उद्योग में शामिल होने के लिए अनेक एक्जिट पाॅइंट्स का लाभ उठाते हैं। बाद में उद्योग में पदोन्नति के दौरान वे अपनी डिग्री पूरी करने के लिए विश्वविद्यालय में वापस आ सकते हैं। विश्वविद्यालय कौशल संबंधी अनेक क्षेत्रों में मास्टर प्रोग्राम एम. वोक. और पीएच. डी. भी प्रदान करता है।