नई दिल्ली: उत्तर भारत के लोगों को गर्मी से राहत मिलने में इस बार कुछ ज्यादा इंतजार करना होगा। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, इस बार मॉनसून कुछ कम है और दिल्ली-एनसीआर तक देरी सामान्य तिथि के मुकाबले देरी से आएगा।

मौसम की जानकारी देने वाली प्राइवेट फर्म स्काईमेट के मौसम वैज्ञानिक समर चौधरी ने समाचार एजेंसी को बताया, ''पिछले 65 वर्षों में यह दूसरा सबसे सूखा साल है, प्री-मॉनसून के लिए सामान्य वर्षा 131.5 मिमी दर्ज की जाती रही है जबकि इस बार यह 99 मिमी दर्ज की गई। यह स्थिति उन इलाकों में अल नीनों के कारण बन रही है जो मॉनसून के आवा-गमन पर असर डालेंगे।

मौसम वैज्ञानिक ने यह भी बताया कि केरल में मॉनसून अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि इस बार मॉनसून कमजोर होगा। दिल्ली और इसके आस-पास के इलाकों में मॉनसून के पहुंचने की सामान्य तारीखें जून के आखिरी हफ्ते में हैं, लेकिन इसमें 10-15 दिनों की देरी हो सकती है।

प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म होने पर हवा की गति और उसका रास्ता प्रभावित होता है और इससे मौसम पर भी असर पड़ता है। नतीजतन, कई जगहों पर सूखा तो कहीं-कहीं बाढ़ जैसी समस्या बनती है। इसी को अल नीनो कहा जाता है।

बता दें कि बुधवार को दिल्ली में अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। गर्मी के कारण दिन के समय कुछ सड़कों पर सन्नाटा देखा जा रहा है। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं। जूस और कोल्ड्रिक्स की दुकानों पर लोगों की भीड़ देखी जा सकती है।