नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल को मामले का हल निकालने के लिए 15 अगस्त तक का समय देने का फैसला किया है। कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। मध्यस्थता पैनल ने हल निकालने के लिए और समय की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इस मामले के विभिन्न पक्षों को 30 जून तक अपनी आपत्ति दर्ज कराने की भी इजाजत दी। मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट मिली है। हालांकि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, 'हम आपको यह नहीं बताने जा रहे हैं कि इस मामले में बात आगे कहां तक बढ़ी है। यह पूरी तरह से गोपनीय है।'
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने साथ ही कहा, 'यह मुद्दा सालों से पड़ा हुआ है। इसे और समय क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को मध्यस्थता को मंजूरी दी थी। इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को छह मई को मध्यस्थता पैनल की ओर से रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंप दी गई थी।
इस विवाद के समाधान की संभावना तलाशने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस एफ एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन किया था। इस समिति के अन्य सदस्यों में आध्यत्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में मध्यस्थता के लिये गठित इस समिति को बंद कमरे में अपनी कार्यवाही करने और इसे आठ सप्ताह में पूरा करने का निर्देश दिया था। संविधान पीठ ने कहा था कि उसे विवाद के संभावित समाधान के लिये मध्यस्थता के संदर्भ में कोई 'कानूनी अड़चन' नजर नहीं आती।
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