नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में जून के महीने में विधानसभा चुनाव के संबंध में राज्यपाल ने आपत्ति जाहिर की है। राज्यपाल की तरफ से चुनाव आयोग से कहा गया है कि विधानसभा चुनाव नवंबर में कराया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा है कि जून के महीने में अमरनाछ यात्रा, टूरिस्ट सीजन और बकरवाल माइग्रेशन की वजह से चुनाव कराना उचित नहीं होगा। लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल के फैसले की मुखालफत की है।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य की ज्यादातर दल विधानसभा चुनाव में शिरकत कर अलगाववादियों को संदेश देना चाहती है। राजनीतिक दल चुनावों में हिस्सा लेकर आतंक फैलाने वालों को संदेश देना चाहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से मोदी जी और उनकी विकलांग टीन अलगाववादियों के सामने सरेंडर कर चुकी है और यह शर्मनाक है।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत की बात करती है। लेकिन जब मामला सरकार चुनने का आता है तो दिल्ली की सरकार का व्यवहार बदल जाता है। हमारा स्पष्ट मत है कि जब तक केंद्र की सरकार यहां के लोगों की भावना नहीं समझेगी घाटी की समस्या बरकरार रहेगी। मोदी सरकार एक तरफ कहती है कि वो 35 ए को खत्म कर देगी। इस तरह के बयानों से साफ है कि केंद्र का मकसद क्या है।