नई दिल्ली: देश में छोटो उद्योगों के बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मोदी सरकार की फ्लैगशिप स्कीम प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत सरकार के लिए ही परेशानी बन रही है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी मुद्रा योजना के तहत एनपीए निर्धारित सीमा को पार गया है।

दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं जो आरबीआई की सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं। आरबीआई ने इस साल के शुरू में मुद्रा स्कीम के तहत एनपीए के इस मामले को सरकार के समक्ष उठाया था। वित्त मंत्रालय को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से इस योजना के तहत बढ़ते बोझ के बारे में पत्र मिला था।

एक अधिकारी ने नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर फाइनेंसियल एक्सप्रेस ऑनलाइन को बताया, ‘मुद्रा योजना के तहत ओवरऑल एनपीए करीब 5 फीसदी है, जो कि बासेल नियम से कम है। हालांकि, कुछ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऐसे हैं जिन्होंने आरबीआई की सीमा का उल्लंघन किया है, जो थोड़ा चिंता का विषय है।’ वहीं, अधिकारी ने एनपीए की मौजूदा सीमा पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जनवरी तक मुद्रा लोन के तहत एनपीए का स्तर 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने पिछले साल एनपीए पर संसदीय समिति को एक नोट में मुद्रा लोन और किसान क्रेडिट कार्ड के तहत चेताया था।

राजन ने कहा था कि लोन बांटने के टार्गेट को बिना उचित प्रक्रिया के पूरा किया जा रहा है। इससे भविष्य में एनपीए बढ़ने की आशंका है। उन्होंने यह भी कहा था कि मुद्रा लोन और किसान क्रेडिट कार्ड की बारिकी से समीक्षा करने की बात कही थी।

सरकार के प्राथमिक आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2019 में 22 मार्च तक मुद्रा योजना के तहत कुल 2.73 करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका था। जबकि वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2019 ने सरकार ने क्रमशज्ञ 1.75 करोड़ और 1.32 करोड़ रुपये लोन बांटा था।

केंद्र सरकार की इस फ्लैगशिप स्कीम प्रधान मंत्री मुद्रा योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में शुरू किया था। इस योजना उद्देश्य छोटे उद्योगों को 10 लाख रुपये तक का लोन देकर उनकी मदद करना था। इस लोन को वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, गैर-कंपनी छोटे और सूक्ष्म उपक्रमों द्वारा दिया जाना था।