नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में नेताओं के बयान अक्सर सुर्खिया बटोर रहे हैं। ऐसा लगता है कि नेताओं के बीच एक से बढ़कर एक विवादास्पद बयान देने की होड़ लगी है। सपा के आजम खान हो या हिमाचल प्रदेश में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती। सभी आचार संहिता के साथ ही मर्यादाओं को लांघ रहे हैं।

इस क्रम में एक नया नाम शिवसेना के नेता संजय राउत का भी जुड़ गया है। संजय राउत तो कानून और आदर्श आचार संहिता को ही बिल्कुल सिरे से खारिज करने में जुट गए हैं। संजय राउत ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘चुनाव का माहौल है, हमें बार-बार याद दिलाते रहते हैं कि आचार संहिता, आचार संहिता है… तो मेरे मन में एक डर हमेशा रहता है कि आचार संहिता है।

ये तो हम कानून को मानने वाले लोग हैं। यदि बार-बार हमें याद दिलाया गया कि कानून है, आचार संहिता है… तो भाड़ में गया कानून। आचार संहिता हम देख लेंगे। जो बात हमारे मन में है, दिल में है। जो हम अपने मन से बाहर न निकाले तो घुटन सी होती है।’

संजय राउत महाराष्ट्र के मीरा-भायंदर की एक सभा में बोल रहे थे। ऐसा पहली बार नहीं है कि संजय राउत का नाम विवादों में आया है। इससे पहले भी राउत को निर्वाचन आयोग की तरफ से आचार संहिता के उल्लंघन पर नोटिस जारी किया गया था। राउत को यह नोटिस शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे एक संपादकीय लेख के लिए मिला था।

राउत का कहना था कि भाजपा को बिहार में बेगूसराय से वाम दल के उम्मीदवार कन्हैया कुमार की हार को सुनिश्चित करना चाहिए भले ही यह ईवीएम में छेड़छाड़ के जरिये ही क्यों न हो। मालूम हो कि जेएनयू के पूर्व छात्र अध्यक्ष के खिलाफ भाजपा के नेता गिरिराज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं।

अपने लेख में संजय राउत ने कन्हैया कुमार को जहर की बोतल बताया था। उन्होंने लिखा था कि जेल की लड़ाई को संसद तक नहीं पहुंचना चाहिए। इसके बाद चुनाव आयोग ने उनसे उनके बयान पर सफाई मांगी थी। नोटिस पर राउत ने कहा था कि वह आयोग को इस बारे में अपना स्पष्टीकरण देंगे।