नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने यहां शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा जिसमें बृहस्पतिवार को राज्य में चुनाव के दौरान भारी संख्या में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ और अपर्याप्त सुरक्षा के कारण हिंसा की घटनाओं का आरोप लगाया। चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुये उन्होंने दावा किया कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को मनमाने तरीके से हटाया गया और प्रशासन में नीतिगत पंगुता पैदा की गई गई।

उन्होंने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की संभावना के कारण चुनाव प्रक्रियाओं के पवित्रताओं को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग से मतपत्रों से मतदान कराने की मांग की। तेदेपा प्रमुख ने कहा, ‘‘एक संवैधानिक संस्था, भारत निर्वाचन आयोग जिस तरीके से संवैधानिक कर्तव्य की भावना पर खरा उतरने में बुरी तरह विफल रही वह ना केवल परेशान करने वाली बल्कि देश में लोकतंत्र के भविष्य के लिए भी एक खतरा है।’’ नायडू ने आरोप लगाया कि बिना उचित कारण बताये चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी, श्रीकाकुलम के जिला क्लेक्टर, कडपा एवं श्रीकाकुलम के पुलिस अधीक्षकों और डीजी (खुफिया) का तबादला कर दिया जिससे राज्य में अधिकारियों का मनोबल प्रभावित हुआ।

सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने नायडू के सभी शिकायतों पर बिंदुवार प्रतिक्रिया दी है। नायडू को बताया गया है कि किसी भी रिटर्निंग अधिकारियों को नहीं हटाया गया और केवल एक जिला चुनाव अधिकारी बाहर किया गया। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा देखने वाले डीजी (खुफिया) का तबादला उनकी सुरक्षा के साथ समझौता था। मुख्यमंत्री नायडू ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों की मर्जी और पसंद के अनुसार काम किया जबकि उनकी पार्टी तेदेपा की शिकायतों को दरकिनार किया। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष के प्रत्याशी ने पुलिस अधिकारी के खिलाफ एक धमकी भरा बयान दिया जिसके तुरंत बाद प्रकासम जिला पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया गया।