नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह लातूर में पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं से उन “बहादुर सैनिकों” को अपना वोट “समर्पित” करने की अपील की, जो पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए और जिन्होंने बालाकोट हवाई हमले को अंजाम दिया। लेकिन, उनकी यह अपील चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आ गई है। उस्मानाबाद जिला चुनाव अधिकारी (CEO) ने महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री के भाषण को सशस्त्र बलों का चुनाव लाभ लेने वाला बताया है।

सूत्रों के अनुसार राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने डीईओ की रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेज दी है। यदि चुनाव आयोग उस्मानाबाद डीईओ की राय से सहमत होता है, तो मोदी प्रधानमंत्री रहते हुए पहली बार आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए अपनी टिप्पणी के बारे में सफाई देंगे। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने संकेत दिया कि मामले में इस हफ्ते निर्णय आने की संभावना है।

19 मार्च को चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर यह निर्देश दिया था कि वे अपने नेताओं और उम्मीदवारों को सलाह दें कि अपने चुनाव अभियान के दौरान वे ‘सुरक्षा बलों’ और उनकी गतिविधियों का राजनीतिक प्रोपगैंडा में इस्तेमाल न करें। इससे पहले 9 मार्च को आयोग ने राजनीतिक दलों को एक एडवाइजरी भी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि वे प्रचार में सेना के जवानों और उनसे जुड़े फोटोग्राफ का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। ऐसे में डीईओ का कहना है कि प्रथम दृष्टया पीएम मोदी का भाषण इस एडवाइजरी का सरासर उल्लंघन है।

गौरतलब है कि मंगलवार को लातूर में पीएम मोदी ने कहा था, “मैं जरा कहना चाहता हूं मेरे फर्स्ट टाइम वोटरों को। आपका पहला वोट पाकिस्तान के बालाकोट में एयर-स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के नाम समर्पित हो सकता है क्या? मैं मेरे फर्स्ट-टाइम वोटर से कहना चाहता हूं कि आपका पहला वोट पुलवामा में जो वीर शहीद हुए हैं उन वीर शहीदों के नाम आपका वोट समर्पित हो सकता है क्या?” बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बालाकोट एयर स्ट्राइक और पुलवामा आतंकी हमले का जिक्र अपने भाषण में करके आचार संहिता का उल्लंघन किया है।