नई दिल्ली: केंद्र सरकार भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड ( एमटीएनएल) के 50 साल से ऊपर के कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर रही है. दूरसंचार मंत्रालय उनको स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश करने के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी मांगेगा. दूरसंचार विभाग मंत्रिमंडल के विचार के लिए इन कर्मचारियों की वीआरएस संबंधी नोट तैयार कर रहा है.

एक अधिकारी ने कहा, ''विभाग इन कर्मचारियों के लिए वीआरएस लाने को लेकर मंत्रिमंडल नोट तैयार कर रहा है. विभाग मंत्रिमंडल के पास प्रस्ताव भेजने की मंजूरी के लिए जल्दी ही चुनाव आयोग से संपर्क करेगा.'' इसका अर्थ यह हुआ कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही इन कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है.

बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या 1.76 लाख जबकि एमटीएनएल में 22,000 कर्मचारी हैं. अगले 5-6 साल में बीएसएनएल के 50 प्रतिशत कर्मचारी और एमटीएनएल के 16,000 कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे. बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए वीआरएस से क्रमश: 6365 करोड़ रुपए तथा 2120 करोड़ रुपए का प्रभाव पड़ेगा.

इस बीच एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीएसएनएल बोर्ड पहले ही 54451 कर्मचारियों की छंटनी के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुका है. उसने सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी के 10 में से तीन प्रस्ताव मान लिए हैं. इनमें कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति उम्र 60 से घटाकर 58 वर्ष करने, 50 साल से अधिक उम्र से कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) और बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में तेजी लाना शामिल हैं. हालांकि अधिकारी ने साफ किया कि यह स्वैच्छिक योजना है. ऐसे में कर्मचारियों की वास्तविक संख्या का निर्धारण नहीं किया जा सकता है.

बीएसएनएल और एमटीएनएल ने कर्मचारियों को गुजरात मॉडल के आधार पर वीआरएस देने का आग्रह किया है. उस मॉडल के तहत कर्मचारियों को पूरा किए गए प्रत्येक सेवा वर्ष के लिए 35 दिन की सैलरी तथा सेवानिवृत्ति तक बचे हुए सेवा वर्ष के लिए 25 दिन की सैलरी की व्यवस्था है.

बीएसएनएल और एमटीएनएल अपने कर्मचारियों को फरवरी का वेतन नहीं दे पाई थी. इस वजह से दोनों कंपनियों ने वित्तीय मदद के लिए केंद्र सरकार की ओर हाथ बढ़ाया था, लेकिन इस पर अब तक फैसला नहीं हुआ है.