नई दिल्ली: बीते छह साल के दौरान ग्रामीण भारत में काम करने वाले करीब 3 करोड़ से ज्यादा खेतिहर मजदूर बेरोजगार हुए हैं. वित्तीय वर्ष 2011-12 से लेकर 2017-18 के बीच हुई यह गिरावट करीब 40% की है. एक अंग्रेजी अख़बार ने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) के सर्वेक्षण का हवाला देते हुए यह रिपोर्ट छापी है.

NSSO द्वारा कराए गए पिरयॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार इस दौरान करीब 3.2 करोड़ अनियमित मजदूर बेरोजगार हुए. रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं गैर-कृषि कार्यों में कार्यरत अनियमित श्रम कार्य बल में 7.3% पुरुष बेरोजगार हुए, जबकि महिलाओं के लिए यह दर 3.3% रही.

रिपोर्ट में सेल्फ इम्पलॉयड फार्म लेबर में 4% वृद्धि की ओर भी इशारा किया गया है. एक एक्सपर्ट के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है, 'क्योंकि यह संभावना नहीं है कि कैजुअल मजदूर रातोंरात खेतों के मालिक बन गए हों. ऐसे में इसे आंशिक रूप से कृषि में ठहराव के तौर पर समझा जा सकता है जिससे भूस्वामी की भर्ती की क्षमता कम हो गई.'

सर्वे के अनुसार 2011-12 से राष्ट्रीय पुरुष कार्यबल 30.4 करोड़ से घटकर 28.6 करोड़ हो गया है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत का राष्ट्रीय कार्यबल 4.7 करोड़ घट गया है जो सऊदी अरब की जनसंख्या से अधिक है.

बता दें कि NSSO की तरफ से मंजूरी मिलने के बावजूद सरकार ने अभी तक इस सर्वे को जारी नहीं किया है. आम चुनावों के कारण सरकार द्वारा सर्वे को जारी करने में की जा रही देरी को लेकर इस साल जनवरी में आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था.