नई दिल्ली: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन पर कांग्रेस के भीतर आपसी कलह सतह पर आ गई है। कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी महासचिव पीसी चाको ने कहा है कि प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित अंतिम अधिकारी नहीं हैं जो गठबंधन पर फैसला करें। उन्होंने कहा कि पार्टी की वर्किंग कमेटी इस बावत अंतिम फैसला लेगी। चाको का यह बयान तब आया है, जब आप से गठबंधन पर पार्टी ने कार्यकर्ताओं और जिला अध्यक्षों से रायशुमारी की है। आउटलुक को दिए इंटरव्यू में पी सी चाको ने कहा, “राज्य में शीला दीक्षित समेत कुल छह अध्यक्ष हैं, जिनमें से पांच गठबंधन के पक्ष में हैं।” बतौर चाको, कांग्रेस के 14 जिला कमेटी भी आप से गठबंधन करने के पक्ष में है। इसके साथ ही चाको ने साफ किया कि दिल्ली में कांग्रेस अकेले चुनाव नहीं जीत सकती। उन्होंने कहा कि किसी पार्टी के साथ गठबंधन पर फैसला व्यक्ति नहीं बल्कि वर्किंग कमेटी करती है।

चाको ने कहा, “मुझे लगता है कि दिल्ली में गठबंधन राजनीतिक मजबूरी है। राज्य में कांग्रेस का वोट शेयर 20-22 फीसदी है, जबकि आप का वोट शेयर 35-40 फीसदी है। बीजेपी का वोट शेयर करीब 45 फीसदी है लेकिन पुलवामा हमले के बाद संभव है कि इसमें कुछ बढ़ोत्तरी हो जाय। इसलिए यहां सिंपल सी लॉजिक है कि अगर आप और कांग्रेस एक हो जाए तो भाजपा की जीत असंभव है।” चाको ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं की इच्छा जानना चाहते हैं। इसी वजह से शक्ति एप पर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी की जा रही है। चाको ने कहा कि शायद उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

चाको ने यह भी कहा कि वो शीला दीक्षित को इस बारे में समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि केजरीवाल से गठबंधन किया जाय। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एनसीपी, आरजेडी, डीएमके, टीडीपी जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन कर रही है तो आप से क्यों दिक्कत होगी? जबकि इन सभी दलों के उद्देश्य एक है- नरेंद्र मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता से उखाड़ना और भाजपा को हराना। चाको ने कहा कि वर्किंग कमेटी में फैसला लिया गया था कि बीजेपी को 2019 चुनाव में हराने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन करेंगे । गठबंधन की घोषणा पर चाको ने कहा कि राहुल गांधी ने अभी तक नहीं कहा है कि पार्टी दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी। बता दें कि दिल्ली में लोकसभा की सात सीटें हैं। 2014 में सभी पर भाजपा की जीत हुई थी।