नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च की गई महत्वकांक्षी योजना ‘मुद्रा योजना’ का बुरा हाल है। मोदी सरकार की इस ड्रीम स्कीम का लक्ष्य हासिल करने के लिए बैंकों को एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज बांटने की जरूरत है और इसके लिए मात्र एक महीने का समय शेष है। दरअसल, चालू वित्त वर्ष के खत्म होने में अब सिर्फ एक महीने का वक्त बचा है। ऐसे में बैंकों को मुद्रा योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरण का लक्ष्य पूरा करने के लिए ज्यादा काम करना होगा क्योंकि 22 फरवरी तक केवल 2 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बांटा गया है। सरकारी आंकड़ों में कहा गया कि है कि 22 फरवरी तक मुद्रा योजना के तहत कुल 2,02,668.9 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा गया है। इसके मुकाबले 2,10,759.51 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत किया गया है।

वित्त मंत्रालय के हालिया आंकड़ों में कहा गया कि इस वित्त वर्ष में अब तक 3.89 करोड़ से अधिक मुद्रा ऋण को मंजूरी दी गई है। वित्त वर्ष 2018-19 के बजट के मुताबिक, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरण का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2017-18 में इस योजना के तहत 2,46,437.40 करोड़ रुपये का कर्ज बांटा गया है, जो कि लक्ष्य से अधिक है। वास्तव में पिछले सभी वित्त वर्षों में लक्ष्य से ज्यादा का ऋण वितरण हुआ है।

मुद्रा योजना की शुरुआत आठ अप्रैल 2015 को हुई थी। इस योजना के तहत गैर-निगमित, गैर-कृषि छोटी एवं लघु इकाइयों को 10 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाना है। पीयूष गोयल ने 2019-20 का बजट पेश करते हुए कहा था कि मुद्रा योजना के तहत अब तक 7.23 लाख करोड़ रुपये के 15.56 करोड़ ऋण स्वीकृत किए गए हैं। उन्‍होंने कहा था कि भारत भी दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है जहां सर्वाधिक संख्‍या में युवा आबादी है।

गोयल ने कहा था कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के जरिए 1 करोड़ से भी अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि आजीविका अर्जित करने में उनकी मदद की जा सके। उन्‍होंने कहा कि ‘मुद्रा’, स्‍टार्ट-अप इंडिया और स्‍टैंड-अप इंडिया सहित स्‍व-रोजगार योजनाओं के जरिए युवाओं की पूरी क्षमता का उपयोग किया गया है। रोजगार चाहने वाले लोग अब रोजगार सृजित करने लगे हैं, इसकी बदौलत भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्‍टार्ट-अप हब बन गया है। सरकार को देश के युवाओं की कड़ी मेहनत और अभिनव आइडिया पर गर्व है।