लखनऊ: लखनऊ में "अल्पसंख्यक हिस्सेदारी आन्दोलन" के तहत अल्पसंख्यकों, मुख्य रूप से मुसलमानो का आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए देश के विकास में और राजनीती में भागीदारी को सुनिश्चित करने पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

वार्ता का आयोजन देश भर के अल्पसंख्यक समुदाय के ज़मीनी कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधियों ने किया। "अल्पसंख्यक हिस्सेदारी आन्दोलन" मोहल्ले, गांव, कस्बे, शहरों में मुसलमानो के बीच बरसों से दबी आवाज़ का सम्मलित रूप है, यह आन्दोलन मुसलमानो के बीच से आगे आने वाले नए कार्यकर्ताओं, सामाजिक चिंतको , और युवक युवतियों का मंच है. प्रेस वार्ता का खास मकसद राजनितिक दलों को अल्पसंख्यक और खास कर मुसलमानो की तरफ से एक प्रस्ताव देने के लिए आयोजित किया गया, “आप हमारी माँग पूरा करने का वचन दो, हम आगामी चुनाव में आपका समर्थन करने का वचन देते हैं”.

प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए सलीम बेग (आर, टी, आई एक्टीविस्ट) ने कहा की अब तक, अल्पसंखयक समुदाय के कुछ लोगों को साथ दिखाकर और कुछ लॉलीपॉप वादों के द्वारा हमारा वोट लिया जाता रहा है. लेकिन अब राजनितिकदलोंऔर उनके नेताओं को समझना पड़ेगा की न तो अल्पसंखयक समुदाय के दिखने वाले कुछ लोगों', और न ही लॉलीपॉप वादों पर हम बेवक़ूफ़ बनेंगे”!

उर्वशी शर्मा (आर, टी, आई एक्टीविस्ट) ने कहा की“चुनाव के समय आते ही सभी राजनितिक पार्टियों की तरफ से अल्पसंख्यक और खास कर मुसलमानो के वोट पर अपना अधिकार दिखाने की होड़ लग जाती है, सभी राजनितिक दाल तथा उनके नेता अल्पसंख्यक समुदाय को तरह तरह से डर और असुरक्षा की भावना दिखा कर अपनी ओर लामबंद करने की कोशिश करने लगते हैं. लेकिन न तो चुनाव में और न ही अल्पसंख्यको के सुरक्षा, सम्मान, विकास, और बराबरी की भागीदारी के मुद्दे पर यह सभी राजनितिक पार्टियां कुछ नहीं करती हैं.

अधिवक्ता मोहम्मद शोएब (चेयरमैन- रिहाई मंच)ने कहा कि “अब अगर हमारा वोट चाहिए तो हमारे से सीधी बात करनी होगी, हमारे मोहल्ले में आ कर बात करनी होगी, हमारे असल मुद्दों पर बात करनी होगी, हमारे सम्मान, सुरक्षा, विकास और बराबर की भागीदारी की बात करनी होगी, तभी हमारा साथ और वोट मिलेगा ! हम किसी भी पार्टी के साथ भेदभाव नहीं करेंगे, जो हमारी बात करेगा हम उसका साथ देंगे. अब आगे बिना शर्तों और बिना सत्ता में भागीदारी के वोट नही करेंगे।“

प्रेस कान्फ्रेंस मे आंदोलन के संरक्षक हाजी असलम अंसारीने कहा कि “मुख्य रूप से सेकुलरिज्म के नाम पर वोट हासिल कर रहे राजनैतिक दलों के आक़ओं को खूब खरी-खोटी सुनाने के बाद चेतावनी देते हुए कहा गया कि जो भी राजनैतिक दल मुसलमानों का वोट हासिल करना चहता है वह पहले इस बात की गारंटी दे कि वह अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुसलमानो को सुरक्षा, सम्मान, और भरतीय नागरिक होने के नाते सभी अधिकार सुनिश्चित पूरी ईमानदारी के साथ करेगा देश के विकास में अल्पसंख्यकों को बराबरी का हिस्सेदार बनाएगा देश के सभी संवैधानिक और राजनैतिक प्लेटफॉर्म पर मुसलमानों को हिस्सेदारी देगा?

कान्फ्रेंस मे भाग लेने वालों मे मुख्य रूप से तनवीर अहमद सिद्दीकी (राष्ट्रीय अध्यक्ष-सुचना का अधिकार बचाओ अभियान, डॉ शमीम अहमद (सोशल एक्टिविस्ट), आसिफ बरनी (एडिटर- अवधनामा), अरशद कुरैशी, डॉ अली अकरम, मंज़ूर असलम, मिर्ज़ा फैज़ुद्दीन बहादुर शाह ज़फर III (मुग़ल वंशज),रेहान रहबर (अधिवक्ता-लखनऊ हाई कोर्ट), के अलवा कई दर्जन कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और आन्दोलन को आगे बढने का आश्वासन दिया ।