इक्तदार बानों मेमोरियल एजूकेशनल सोसायटी के तत्वधान’’अकबर इलाहाबादी की मिजाहिया शायरी’’ पर संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ: अकबर को भाषा पर अच्छी पकड़ थी। उन्होंने सार्वजनिक बोल-चाल की भाषा और अंगेजी के प्रचलित शब्दों का अपने मिजाहिया शायरी में सर्वाधिक उपयोग कर इसे नई दिषा प्रदान की जिसका तत्समय लोगों ने कल्पना भी नहीं किया होगा। उक्त विचार का व्यक्त प्रो0 आसिफा जमानी, चेयरपरसन, उर्दू एकेडमी उ0प्र0 ने इक्तदार बानों मेमोरियल एजूकेषनल सोसायटी के तत्वधान आयोजित संगोष्ठी ’’अकबर इलाहाबादी की मिजाहिया शायरी’’ में किया।

मुख्य अतिथि प्रो0 इश्तियाक़ अहमद, ने कहा कि लिसानुल असर के लकब से सरफराज अकबर इलाहाबादी ने सदैव इस्लामी सभ्यता एवं संस्कृति का पास रखा और मुसलमानों से आग्रह किया कि वह अपने इस्लामी सभ्यता एवं संस्कृति से दस्तबरदार न हों।

मुख्य अतिथि एम0के0जे0 सिद्दीकी निदेशक विज्ञान एवं टेक्नालाॅजी ने कहा कि अकबर इस वक्त तक उर्दू के तंजो मिजाह के सबसे बड़े नुमाइंदे हेैं। मेहमाने एजाजी एस0एम0 हसीब पूर्व जिला न्यायाधीष लखनऊ ने कहा कि अदब सिर्फ शेर व शायरी या दास्ताॅं गोई व फसाना साजी नहीं बल्कि तंकीदे हयात का नाम है।

संगोष्ठी में मकालानिगार डाॅ0 मुजाहिदुल इस्लाम, जियाउल्लाह सिद्दीकी नदवी, नसरीन हामिदण् मौलाना इश्तियाक़ अहमद कादरी, डाॅ0 जान निसार जलालपुर ने अपना-अपना पुरमगज मकाला प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का प्रारम्भ तिलावते क़ुरआन पाक के बाद नात व मंकबत प्रस्तुत की गयी। सेमिनार के कंवेनर मौलाना असरार अहमद ने प्रारम्भ शब्द अदा किये और मैनेजर आलिया हसीब ने सोसायटी के उद्देष्यों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला और उपस्थित सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया। संगोष्ठ का सुन्दर संचालन डाॅ0 उमैर मंजर ने किया।