लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।जहाँ एक और कांग्रेस देश में चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में सफल होती लग रही है वही देश के सबसे बड़े राज्य होने का गौरव रखने वाले यूपी में भी कुछ ऐसा करना चाहती है कि किसी तरह यहाँ भी हालात मज़बूत हो जाए क्योंकि देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी का रास्ता ज़्यादातर यही से होकर जाता है इसकी सबसे बड़ी वजह लोकसभा की 543 सीटों में से अकेले यूपी से ही 80 सीटें आती है और यहाँ कांग्रेस 1989 के बाद से लगातार पिछड़ती जा रही है अगर 2004 2009 को छोड दिया जाए जिसमें कांग्रेस ने 10 और 21 सीटें जीती थी तो 2014 में मात्र दो सीट ही जीत पायी थी।अब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चाहती है कि फिर 2009 को दोहरा दिया जाए उसके लिए मेहनत कश बहन प्रियंका गांधी जबसे कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव बनी है और उन्हें यूपी की ज़िम्मेदारी दी गई तभी से वह रात-रात भर जाग कर लगातार यह प्रयास कर रही है कि यूपी में कांग्रेस मज़बूत हो जाए लेकिन कांग्रेस में ऐसे मज़बूत नेताओं की खाँसी कमी है जिसको लेकर वह चुनावी मैदान में जा सके इस कमी को पूरी करने के लिए वह बसपा और सपा के उन नेताओं की तरफ़ नज़रें गड़ाए है जिनको बसपा-सपा के गठबंधन हो जाने के बाद टिकट नही मिल रहा क्योंकि हर सीट पर बसपा और सपा के पास ऐसे क्षत्रप मौजूद है जो अपने-अपने क्षेत्रों में ख़ासा असर रखते है लेकिन सीट गठबंधन में किसी एक दल के पास चली गई तो दूसरे दल का नेता मजबूर हो गया कि वो चुनाव नही लड़ सकता है प्रियंका गांधी ऐसे ही नेताओं को अपनी हिट लिस्ट में रख रही है उनको कांग्रेस में शामिल करा कर कांग्रेस के टिकट पर लड़ाया जाए इसी क्रम में सीतापुर से पूर्व सांसद क़ैसर जहां,भदोही से पूर्व सांसद राम रति बिंद,मोहनलालगंज की लखनऊ से पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री रहे आर के चौधरी,खलीलाबाद से पूर्व सांसद भालचंद्र यादव,मऊ घोसी से पूर्व सांसद बाल कृष्ण चौहान,बस्ती से पूर्व मंत्री राज किशोर सिंह,इलाहाबाद की फूलपूर से पूर्व सांसद धर्मराज पटेल, गोंडा से कीर्ति वर्धन सिंह वर्तमान सांसद भाजपा,बहराइच से शब्बीर वाल्मीकि पूर्व विधायक,मथुरा से श्याम सुंदर शर्मा चार बार से विधायक है।चंदौली राम किशुन यादव पूर्व सांसद,सम्भल से शफीकुर्रहमान बर्क़ पूर्व सांसद,भदोही राकेश धर त्रिपाठी पूर्व मंत्री,बलिया से अम्बिका चौधरी पूर्व मंत्री,आज़मगढ़ से रमाकांत यादव पूर्व सांसद सहित और भी नाम है जिन पर कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी की नज़र है यूपी की उन्हीं सीटों पर ज़ोर दिया जा रहा है जहाँ गठबंधन की सीटों का ऐलान हो चुका है वहाँ अपने सम्पर्क सूत्रों को लगाया गया है कि वो उनसे बात करें।हमारे भरोसे के सूत्रों के अनुसार प्रियंका गांधी ने ऐसे कुछ नेताओं से बातचीत भी की है लेकिन सूत्रों का दावा है कि वह नेता अभी भी चाहते है कि गठबंधन का ही टिकट मिल जाए तो बेहतर है क्योंकि यूपी में बसपा-सपा के बीच गठबंधन हो जाने के बाद गठबंधन का टिकट जिताऊँ माना जा रहा है इस लिए नेताओं की पहली पसंद गठबंधन ही है गठबंधन से टिकट न मिलने की स्थिति में वह कांग्रेस की तरफ़ ही रूख करेगे ऐसा ही माना जा रहा है।यूपी की सियासी तस्वीर का जो परिदृश्य नज़र आ रहा है उसे देखकर नही लगता कि कांग्रेस यूपी में बहुत बढ़िया प्रदर्शन करने जा रही है क्योंकि कांग्रेस के पास यूपी में न तो नेता है और न कार्यकर्ता जिनके बल पर चुनावी मैदान में उतरा जाता है ये न होने के कारण भी है केन्द्र में 2004 से दस साल राज करने वाली कांग्रेस के नेताओं ने यूपी की तरफ़ मुड़कर नही देखा जबकि यूपी ने 2009 में कांग्रेस को 21 सांसद भी दिए थे और उनमें से केन्द्र में मंत्री भी रहे अगर वो चाहते तो कांग्रेस को यूपी में मज़बूत कर सकते थे लेकिन इस और ध्यान ही नही दिया गया और कांग्रेस यूपी में कमज़ोर होती चली गई उस कांग्रेस को फिर से मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी राहुल गांधी और कांग्रेस के रणनीतिकारों ने प्रियंका गांधी को दी है ताकि पार्टी को मज़बूत किया जाए आज जो अख़बारों और टीवी चैनलों पर कांग्रेस-कांग्रेस हो रही है उसकी वजह भी आर्यन लेडी इंदिरा गांधी की छवि में दिखने वाली प्रियंका गांधी ही है नही तो आज भी कांग्रेस का ज़मीनी स्तर पर कुछ नही है यही सच्चाई है और यह बात प्रियंका गांधी खुद व कांग्रेस के रणनीतिकारों सहित राहुल गांधी मान भी रहे है उनका मानना है कि प्रियंका गांधी कोई बहुत बड़ा करिश्मा नही करने जा रही 2019 के चुनाव में लेकिन हाँ ये बात सही है 2022 के विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस को बूथ स्तर पर मज़बूत कर लेगी तब उसे नज़रअंदाज़ कर पाना मुश्किल हो जाएगा।