लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ।वैसे तो गांधी परिवार की हिन्दुस्तान की जनता में अलग ही क़द्र है क्योंकि जिस तरह से गांधी परिवार ने देश के लिए क़ुर्बानियाँ दी है और इस देश का नवनिर्माण किया है सुई से लेकर परमाणु तक बनाने में सफलता प्राप्त की इसमें कोई शक नही है यही कारण है कि हिन्दुस्तान की अवाम गांधी परिवार को अपने प्यार से नवाज़ ती आ रही है इतिहास यही बताता है लेकिन आजकल देश के सियासी हालात पर धर्म की आड़ लेकर सियासत करने वाले हावी हो चले थे परन्तु राहुल गांधी ने धर्म का चोला पहन कर सियासत करने वालों के बीच में रह कर ही अपनी जगह बनाई और पार्टी को खड़ा करने में सफल होते दिखाई दे रहे है।राहुल गांधी ने जब कांग्रेस की कमान सँभाली थी तो पार्टी बहुत बुरे दौर से गुज़र रही थी हर तरफ़ हार ही हार का सामना करना पड़ रहा था साम्प्रदायिक पार्टी एक के बाद एक राज्यों पर भगवा फहराती जा रही थी लेकिन राहुल गांधी ने हार नही मानी और लगे रहे अपनी और पार्टी की विचारधारा को समझाने में कि यह देश सबको साथ लेकर चलेगा न कि नफ़रतों की दीवार खड़ी करने से आख़िरकार राहुल गांधी की इसी सोच पर हिन्दी भाषी तीन राज्यों की जनता ने अपनी मोहर लगाई और कांग्रेस मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ व राजस्थान जीतने में कामयाब रही बस यह से साम्प्रदायिक पार्टी भाजपा के पतन की शुरूआत मानी जा रही है क्योंकि पन्द्रह-पन्द्रह साल से इन राज्यों पर स्वयंभू भगवा पार्टी का राज था।हालाँकि कांग्रेस को 2014 में देश की अवाम ने सबसे कम सीटें दी थी लेकिन राहुल गांधी ने उन्हीं कम सीटें के साथ सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई जब लगा कि सरकार भ्रष्टाचार की दलदल में जाकर किसी को फ़ायदा पहुँचाने की कोशिश कर रही है तो वह मज़बूती के साथ अड़ गए कि यह नही होने देंगे जैसे राफ़ेल पर हुए भ्रष्टाचार पर जिस तरह अकेले ही अडे रहे और अब लगने भी लगा है कि राफ़ेल में ज़रूर कुछ न कुछ गड़बड़ है क्योंकि जिस तरह से एक के बाद एक ख़ुलासे हो रहे कि किस तरह उद्योगपति अनिल अंबानी को फ़ायदा पहुँचाया गया दॉ हिन्दु अख़बार ने कई ख़ुलासे किए जो इसी और इसारा कर रहे है कि चौकीदार चोर है ख़ैर ये तो जाँच का विषय है कि चौकीदार चोर है या नही परन्तु सरकार जाँच से भाग रही है न जेपीसी करने को तैयार न हो रहे ख़ुलासे पर सही बोलने को तैयार है झूट बोलने में माहिर एक के बाद एक झूट बोल रही है जो मोदी और सरकार को कटघरे में खड़ा करता है।लेकिन उसी राहुल गांधी ने जब सरकार के साथ खड़े होने की ज़रूरत महसूस की तो तनिक भी देर नही की कश्मीर के पुलवामा में आतंकी घटना के बाद जिसमें पचास सैनिक शहीद हो गए थे इसके बाद राहुल गांधी ने दुनिया को और ख़ासकर पाकिस्तान को यह संदेश देने की कोशिश की कि हम देश की सेना और सरकार के साथ है सरकार कोई भी कड़ा फ़ैसला ले वो हर क़दम पर सरकार के साथ है।आमतौर पर देखा जाता है कि जब भी कोई देश में आतंकी घटना होती है तो विपक्ष सरकार की आलोचना करता है जैसे पूर्व में होता था मनमोहन सिंह सरकार के दौरान नरेन्द्र मोदी ख़ूब मज़ाक़ बनाया करते थे ऐसी संवेदनशील स्थिति में भी उन्होने देश के साथ खड़े होने के बजाय सरकार की आलोचना की थी लेकिन राहुल गांधी ने सबसे अलग शुरूआत करने की पहल की है।यूपीए की चेयरमैन सोनिया गांधी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सरीखे नेता सरकार के साथ खड़े है।जो आज सरकार में है वह जब विपक्ष में हुआ करती थी तो आलोचनाओं के अलावा कुछ नही करती थी लेकिन जो आज विपक्ष में है वह सरकार की आलोचनाएँ भी करती है और जब साथ खड़े होने की ज़रूरत होती है तो साथ भी खड़ी होती है यह फ़र्क़ महसूस कराने में कामयाब रहे राहुल गांधी कि कांग्रेस और भाजपा में यह फ़र्क़ है।केन्द्र सरकार ने अपने कार्यकाल में पहली बार ऐसी घटना के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई जो मोदी के अंहकारी होने को साबित करता है लेकिन राहुल गांधी के द्वारा लिए गए इस फ़ैसले की चारों ओर चर्चा है कि राहुल गांधी एक ज़िम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभा रहे है जिससे उन्होने देश की अवाम का दिल जीत लिया है इसे कहते है सियासत जो सबके दिलो पर राज करें।