नई दिल्ली: वाणिज्य मंत्रालय पाकिस्तान को दिए गए 'सबसे तरजीही राष्ट्र (मोस्ट फेवर्ड नेशन)' का दर्जा वापस लेने के अपने फैसले के बारे में जल्द ही विश्व व्यापार संगठन (WTO) को अधिसूचित करेगा। भारत ने सुरक्षा कारणों के चलते यह कदम उठाया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

तरजीही राष्ट्र का दर्जा वापस लेने के बाद भारत, पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क बढ़ा सकेगा। भारत ने 2017-18 में पाकिस्तान से 48.8 करोड़ डॉलर का सामान आयात किया था।

अधिकारी ने कहा, 'अब, वाणिज्यिक मंत्रालय डब्ल्यूटीओ के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए पाकिस्तान को दिए गए तरजीही देश के दर्जा को वापस लेने के बारे में डब्ल्यूटीओ को अधिसूचित करेगा।'

मंत्रालय पाकिस्तान से आने वाली वस्तओं की एक सूची तैयार करेगा, जिनपर भारत सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) बढ़ाएगा। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरूवार को आतंकी हमले के बाद शुक्रवार को भारत ने कड़े कदम उठाते हुए पाकिस्तान से व्यापार में सबसे तरजीही राष्ट्र (MFN) का दर्जा वापस ले लिया है। इसके बाद भारत अब पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं पर किसी भी स्तर तक सीमा शुल्क को बढ़ा सकता है।

पाकिस्तान से जो चीजें आयात की जाती हैं, उनमें मुख्य रूप से फल, सीमेंट, पेट्रोलियम उत्पाद, खनिज संसाधन, लौह अयस्क और तैयार चमड़ा शामिल है। भारत ने पाकिस्तान को 1996 में यह दर्जा दिया था, लेकिन पाकिस्तान की ओर से भारत को ऐसा कोई दर्जा नहीं दिया गया है।

भारत-पाकिस्तान का कुल व्यापार 2016-17 में 2.27 अरब डॉलर से मामूली बढ़कर 2017-18 में 2.41 अरब डॉलर हो गया है। भारत ने 2017-18 में 48.8 करोड़ डॉलर का आयात किया था और 1.92 अरब डॉलर का निर्यात किया था।

भारत मुख्य रूप से पाकिस्तान को कच्चा कपास, सूती धागे, डाई, रसायन, प्लास्टिक का निर्यात करता है। व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि इस फैसले का देश के द्विपक्षीय व्यापार पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि दोनों देशों के बीच का कारोबार सालाना तीन अरब डॉलर से भी कम का है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस मामले में भारत को डब्ल्यूटीओ की विवाद निपटान व्यवस्था में घसीट सकता है। हालांकि उसका पक्ष कमजोर होगा क्योंकि उसने भारत को भी तरजीही राष्ट्र का दर्जा नहीं दिया है।