लखनऊ: दरगाह हजरत मख़दूम शाह मीना शाह रहम अल्लाह अलैहि में मीनाई एजुकेशनल वेल्फेयर सोसाइटी के जेरे एहतिमाम जलसा बउनवान औलिया-ए-अल्लाह दरगाह के सज्जादा नशीन व मुतवल्ली पीरजादा शेख़ राशिद अली मीनाई की सदारत में मुनाकिद हुआ। जलसे का आगाज कारी मुहम्मद अजमल ने तिलावत कलाम पाक से किया। मौलाना गुलजार अहमद मिस्बाही उस्ताज मदरसा अहले सुन्नत नूर उल-इस्लाम अकबर नगर लखनऊ ने मुकर्रिर ख़ुसूसी की हैसियत से खि़ताब करते हुए कि सूफियाए किराम की ख़ान-क़ाहें मुहब्बत इन्सानियत का ऐसा मर्कज थीं जहाँ पहँुच कर हर शख़्स चाहे हिंदू हो या मुस्लमान गरीब हो या अमीर पढ़ा लिखा हो या जाहिल सब अपनी तकलीफें भूल जाते थे सूफ़िया की ख़ान क़ाहें आलम पनाह थीं उनकी जात हर एक के लिए वक़्फ थीं इन्सानी कुलूब को एक रिश्त-ए-उल्फत में पिरोने की जो कोशिश की थी इन तालीमात तसव्वुफ की आज समाज को सख़्त जरूरत है आज उम्मत मुस्लिमा जिन मसाइल से दो-चार हैं उस के लिए जरूरी है कि तसव्वुफ का फरोग और सूफियाए किराम की तालीमात को आम किया जाये और उसे मुतहर्रिक-ओ-फआल बनाने की हर मुम्किन कोशिश की जाये। निजामत के फराइज कारी मुहम्मद इस्लाम कादरी ने अंजाम दिए । कारी जहांगीर , कारी मुईन उद्दीन, डाक्टर रिजवानुल रज़ा, अतीक़ सिद्दीकी, कम़र सीतापुरी, कारी शरफ उद्दीन, आलमगीर दार उल-उलूम शाहमीना के तलबा ने नात-ओ-मनकबत के अशआर पेश किए। इस मौका पर शमशेर अली, रेहान अली, साद अली ऐडवोकेट, जमील अहमद बशीरी, मजकी बकाई, मुदस्सिर आलिम, हाजी मुहम्मद शफीक, मजहर अली वगैरा खासतौर से मौजूद थे। सलात-ओ-सलाम कुुल-ओ-दुआ के बाद जलसा का इख़्तिताम हुआ।