नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) सरकार को मार्च तक 40,000 करोड़ रुपये का अंतरिम डिविडेंड दे सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि अंतरिम डिविडेंड की रकम से मोदी सरकार को वित्तीय घाटे की भरपाई, चुनावों के खर्च और वोटर सपोर्ट पाने में मदद मिलेगी। आरबीआई 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट से पहले डिविडेंड पर आखिरी फैसला कर सकता है।

आरबीआई हर साल अपने लाभ के एक हिस्से का रिजर्व फंड बनाता है जिसे फिस्कल रेवेन्यू के तौर पर गिना जाता है। आरबीआई उसका कुछ हिस्सा सरकार को भी ट्रांसफर करता है। बीते साल आरबीआई ने 10,000 करोड़ रुपये का अंतरिम डिविडेंड दिया था। ब्लूमबर्ग सर्वे के मुताबिक सरकार का राजस्व घाटा एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है। ऐसे में आरबीआई से मिलने वाले डिविडेंड से वित्तीय घाटे के लक्ष्य को जीडीपी के 3.3% पर रखने के लिए अहम भूमिका निभाएगा।
सरकार के साथ आरबीआई के रिजर्व फंड के इस्तेमाल के अलावा दूसरे विवादों की वजह से पिछले महीने उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से इस्तीफा दिया था। उसके बाद शक्तिकांत दास को आरबीआई को नया गवर्नर नियुक्त किया था।

आरबीआई के फंड में 9.6 लाख करोड़ रुपये हैं। यह आरबीआई के कुल एसेट का 28% है। सरकार का कहना है कि दूसरे बड़े देशों के केंद्रीय बैंक अपने एसेट का 14% रिजर्व फंड में रखते हैं। जीएसटी से रेवेन्यु कलेक्शन ज्यादातर एक लाख करोड़ के मासिक आंकड़ें को नहीं छू पाया है जिसके कारण सरकार के पास केंद्रीय बैंक पर निर्भर होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।

तुर्की के केंद्रीय बैंक ने कुछ समय पहले ऐसा ही किया। तुर्की का केंद्रीय बैंक सरकार को मार्च में होने वाले इलेक्शन से पहले सरकार को एडवांस डिविडेंड देगा। भारत में भी कुछ ऐसा ही वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले किया जा रहा है।