नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर के पद से इस्तीफा देने के बाद से ही रघुराम राजन मुखरता से आर्थिक नीतियों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना करते रहे हैं. इससे अटकलें लगती रही हैं कि वह राजनीति में कदम रख सकते हैं. इन अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा कि उनकी रुचि सिर्फ तकनीकितंत्र और शिक्षा के क्षेत्र में है.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में शामिल होने दावोस पहुंचे रघुराम राजन ने कहा कि वह विचारों के आदान-प्रदान के लिए नेताओं से बातचीत करते रहते हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने राहुल गांधी, चंद्रबाबू नायडू से बात की है. मैं उन सभी से बात करता हूं जो मुझसे बात करना चाहते हैं. दो-तीन हफ्ते पहले मैंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से भी बात की थी.'

अटकलें हैं कि बीजेपी के खिलाफ तैयार हुआ महागठबंधन उन्हें अपना पीएम चेहरा बना सकता है. इसे खारिज करते हुए उन्होने कहा, 'ये सब अफवाह है. हममें से कई लोग इस कोशिश में हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने विचारों को सिस्टम में कैसे इम्प्लिमेंट किया जाए. हम एक ऐसी जगह पर खड़े हैं जहां विकास के लिए पहले की गति काफी नहीं है. हमें विकास की जीवंतता को बनाए रखना होगा. देश के विकास के लिए किस तरह के रिफॉर्म जरूरी हैं, हमें इस संबंध में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.'

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राजनीति में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं? तो उन्होंने कहा, 'मैं कोई नेता नहीं हूं. ये मैं कई बार कह चुका हूं. आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपकी ताकत क्या है… मैं एक टेक्नोक्रैट हूं. शिक्षाविद हूं. यही दो क्षेत्र हैं जिनके बारे में मुझे जानकारी है.'

भारत में कोई पद ऑफर किया गया तो क्या वह उसे लेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि उनका फोकस केवल रिफॉर्म्स पर है. उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से कहता रहा हूं कि कोई मैजिक बुलेट नहीं है. हमें काफी कुछ करना होगा. हम जमीन अधिग्रहण के काम में तेजी कैसे ला सकते हैं? हमारा टैक्सेशन सिस्टम कैसे पर्याप्त रेवेन्यू जनरेट कर लेता है? हमारे पास कुछ नई योजनाएं हैं, हम उनपर काम करें कि रेवेन्यू जनरेशन बढ़ सके? हमें इन चीजों पर विचार करने की जरूरत है.'

तीन साल तक आरबीआई गवर्नर रहे रघुराम राजन ने सितंबर 2016 में पद से इस्तीफा दे दिया था. वह फिलहाल शिकागो के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में पढ़ा रहे हैं.