बाल मित्र समाज बनाने की तरफ अग्रसर कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) उत्‍तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर प्रयागराज कुम्‍भ को बाल मित्र कुम्‍भ बनाएगा। इस अर्द्ध-कुम्‍भ मेले का आयोजन प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्‍वती के संगम पर 15 जनवरी से 4 मार्च, 2019 तक किया जा रहा है। इस प्रसिद्ध आध्यात्मिक मेले में दुनियाभर के कोने-कोने से लोग हिस्सा लेने के लिए आते हैं। कुम्‍भ में शाही स्‍नान करने और मेला देखने आने वालों में बड़ी तादाद बच्चों की भी होती है। इन बच्चों पर बाल दुर्व्यापारियों (ट्रैफिकर्स) की नजर होती है। इसके अलावा बहुत सारे बच्चे मेले में मां-बाप से बिछड़ जाते हैं। ये गुमशुदा बच्चे भी बाल दुर्व्यापारियों के हत्थे चढ़ जाते हैं। गुम हुए बच्चों को उत्तर प्रदेश सरकार के महिला एंव बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से उनके माता-पिता से मिलाने के लिए फाउंडेशन के कार्यकर्ता मेले में मौजूद रहेंगे, जबकि बाल अधिकारों और दुर्व्यापारियों के बारे में लोगों जागरूक करने के लिए “मुक्ति कारवां” की व्यवस्था की गई है। साल 2013 में आयोजित कुंभ में करीब 12 करोड़ लोग शामिल हुए थे। मेले में हिस्सा लेने वाले ग्रामीणों के साथ बड़ी तादाद में बच्चे भी आते हैं। इन बच्‍चों पर दुर्व्‍यापारियों (ट्रैफिकर्स) की नजर रहती है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की साल 2016 की रिपोर्ट बताती है कि मानव दुर्व्‍यापार के जितने भी लोग शिकार होते हैं, उसमें बच्‍चों (18 साल की उम्र तक) की संख्‍या तकरीबन 60 फीसदी होती है। देश में हर घंटे में एक बच्चा ट्रैफिकिंग का शिकार हो जाता है। जबकि हर घंटे में सात बच्चे गुम हो जाते हैं। गुम हुए बच्चे भी ट्रैफिकिंग का शिकार होते हैं और इन बच्चों को जबरिया मजदूरी, भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति आदि के लिए बेच दिया जाता है। बच्‍चों को ट्रैफिकर्स से बचाने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस बार कुम्‍भ मेले में पर्याप्‍त कदम उठाए गए हैं। गुमशुदा बच्‍चों को फाउंडेशन के कार्यकर्ता राज्‍य सरकार की मदद से उनके माता-पिता तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। राज्य सरकार और उसके महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मेले के विभिन्न स्थानों पर खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है। फाउंडेशन सरकार के प्रयास में अपना पूरा सहयोग देगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने गुमशुदा बच्चों की पहचान के लिए मेले में कई जगह एलईडी और कियोस्‍क की व्‍यवस्‍था की है। गुमशुदा बच्चों को खोजने की त्वरित कार्रवाई के लिए आधुनिक तकनीक की भी मदद ली जाएगी। इसके लिए बाजाब्‍ते ऐप औेर वेबसाइट भी लांच की गई है। कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक (कैंपेन) श्री बिधान चंद्र के अनुसार, “मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2013 के कुंभ मेले में खोने वाले लोगों की संख्‍या 2 लाख 75 हजार हो गई थी। ये आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि कुम्भ मेला बच्चों और महिलाओं के लिए जोखिमभरा है। पर्याप्‍त और समुचित सुरक्षा व्‍यवस्‍था के नहीं होने का ही नतीजा है कि मेले में लोग गुम हो रहे हैं। इन चुनौतियों से निपटने और विशेषकर बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस बार मेले में कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। बच्‍चों और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्‍य से हमने स्‍वयंसेवकों को नियुक्‍त किया है। ये स्‍वयंसेवक न सिर्फ खोए हुए बच्‍चों को ढूंढने का काम करेंगे, बल्कि उन्‍हें उनके माता-पिता से भी मिलाने का काम करेंगे। ये स्वयंसेवक लोगों को बच्चों के मुद्दों के बारे में जागरूक भी करेंगे। हमारी यह योजना ‘100 मिलियन फॉर 100 मिलियन’ कैंपेन का भी हिस्‍सा है, जिसे दुनियाभर के बच्चों को गुलामी और दासता से मुक्ति के लिए नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने शुरू किया है। इस अवसर पर लोगों को बच्चों को शोषण से मुक्त करने के लिए काम करने की शपथ भी दिलाई जाएगी।”