नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी को अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में आई CMIE की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में देश में 1 करोड़ 10 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं और अब RBI ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मुद्रा लोन योजना में एनपीए लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आरबीआई ने सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि मुद्रा लोन में 11 हजार करोड़ का एनपीए हो चुका है. और अगर इस पर अभी नहीं ध्यान दिया गया तो यह योजना एनपीए का अगला सबसे बड़ा श्रोत हो जायेगा.

एक अनुमान के मुताबिक देश के बैंकों पर अभी 9 लाख करोड़ से ज्यादा का एनपीए हो चुका है. सरकार की हाल ही में तारीफ की गई थी कि जिस तरह से IBC कानून के तहत NPA पर हमला बोला जा रहा है वो अप्रत्याशित और मोदी सरकार के सबसे बेहतरीन प्रयासों में एक है. लेकिन आरबीआई की इस चेतावनी के बाद एनपीए की समस्या एक बार फिर खतरनाक रूप धारण करती हुई दिख रही है.

मोदी सरकार की सबसे चर्चित योजनाओं में मुद्रा योजना का नाम सबसे आगे आता है. सरकार की इस योजना के तहत छोटे कारोबारियों को लोन दिया जाता है ताकि उन्हें व्यापार बढ़ाने में आसानी हो. इस योजना के तहत तीन केटेगरी में लोन दिया जाता है. शिशु लोन, किशोर लोन और तरुण लोन. इन श्रेणियों में 50 हजार से 10 लाख के बीच लोन दिया जाता है. मुद्रा योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सरकार की इस योजना के तहत अभी तक 13 करोड़ लोगों को साढ़े पांच लाख करोड़ का लोन दिया गया है.

आरबीआई की रिपोर्ट सरकार के लिए एक चुनौती की तरह है. क्योंकि जिस तरह से एनपीए को निपटाने के लिए IBC कानून की आर्थिक विशेषज्ञों ने सराहना की है उससे सरकार पर नैतिक दबाव बढ़ गया है. देश में जब भी रोजगार देने की बात आती है तो मोदी सरकार मुद्रा योजना का ही सहारा लेती है. अमित शाह भी कई मौकों पर मुद्रा योजना का बखान कर चुके हैं. लेकिन एनपीए के आंकड़े सामने आने से सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देना मुश्किल हो जायेगा.