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‘लहू बोलता भी है’ किताब आजादी में मुस्लिम किरदार का आईना: जुनैद अशरफ

लखनऊ: आॅल इण्डिया हुसैनी सुन्नी बोर्ड के द्वारा राज नारायन प्रकाशन हाॅल, लालबाग, लखनऊ में लहू बोलता भी है के लेखक जनाब शाहनवाज अहमद कादरी के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा बोर्ड उपाध्यक्ष सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि कादरी साहब ने भारत की आजादी में किरदार निभाने वाले मुस्लिम योद्धाओं को जिन्हें हम सभी ने भूला दिया था, उन्हें लहू बोलता भी है किताब लिखकर उन सभी मुस्लिम शहीदों को ज़िन्दा कर दिया है। यह सम्मान सिर्फ शाहनवाज कादरी साहब का नहीं बल्कि यह उन सभी शहीदों का है जिन्हें मुल्क की आज़ादी में अपनी जान दी। आज के नौजवान मुसलमान से जब आज़ादी में मुस्लिम किरदार के बारे में पूछा जाता था तो वह खामोश हो जाता है, उसे मालूम ही नहीं उसकी कौम ने भारत की आज़ादी में क्या किरदार निभाया है। मुझे लगता है कि नौजवानों की इस बेबसी तथा भारत की आज़ादी में मुस्लिम किरदार को जिस तरह किनारे किये जाने का षडयंत्र रचा जा था उसे देखते हुए जनाब शाहनवाज कादरी साहब को इस किताब लिखने की प्रेरणा मिली होगी। जहां तक इस किताब के बारे कहना चाहूँगा कि आज़ादी के लिए अपनी जान न्योछावार करने वाले मुसलमानों को अब तक की सबसे बेशकीमती किताब है यह किताब मील का पत्थर साबित होगी। इस किताब की वजह से कादरी साहब हमेशा याद किए जाएंगे। इसमंे हज़ारों मुस्लिम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का ज़िक्र किया है जिन्होंने अंग्रेज़ों से लोहा लेते हुए अपने देश के लिए जान कुर्बान कर दी। यह किताब भारत की आजादी में मुस्लिम किरदार का आईना है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान मंे मुसलमानों को उसकी आबादी के हिसाब से कभी भी हिस्सेादारी नहीं मिली चाहे वह संसद हो या प्रशासनिक सेवाए हों। उसे सिर्फ वोटर समझकर इस्तेमाल किया गया। वह आजादी के बाद के खेल को समझ नहीं पाया और जो मुस्लिम नेता समझे भी तो उन्होंने अपनी राजनीतिक मजबूरी के तहत खामोशी अख्तियार कर ली। ‘‘क्या बताएं अपनी नाकामिए मंज़िल का सबब’’, ‘‘काफिला लूट चुके हैं राह दिखाने वाले’’, ’’हमने भी खून दिया है अपने वतन की खातिर, आप तन्हां ही नहीं थे आज़ादी के पाने वाले।’’

सैयद जुनैद अशरफ किछौछवी ने कहा कि भारत में रहने वाला मुसलमान अपनी खुशी से इस मुल्क में रहना पसंद किया था। उसके पास दूसरे मुल्कों मेें भी रहने का विकल्प था। मगर इस मिट्टी से उसे इतनी मोहब्बत है कि उसने इस मुल्क को चुना और हो भी क्यों न, जिस मुल्क के बारे में अल्लामा इकबाल ने कहा था कि ‘‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा और मुगल शासक शाहजहां ने इसी मिट्टी के बारे में कहा था कि दुनिया में अगर कही जन्नत है तो यही है यहीं है यही है। इस मौके पर मोहम्मद फैज़ान, नदीम इकबाल सिद्दीकी, आर.टी.आई कार्यकता संतोष सिंह, पत्रकार रिज़वान अहमद खान, परवेज अंसारी, कीफायत उल्ला खान, वसीम अहमद एडवोकेट आदि लोग मौजूद थे।

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