नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज एके सीकरी ने कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल से अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है.आपको बता दें कि जस्टिस सीकरी आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटाने से जुड़े सेलेक्शन पैनल में शामिल थे, जिसने दो-एक के बहुमत से उन्हें पद से हटाने का फ़ैसला किया था. इस फ़ैसले के बाद मीडिया के कुछ हलकों में ये बात कही गई कि आलोक वर्मा के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री के साथ खड़े होने की वजह से जस्टिस सीकरी को फ़ायदा मिला है और सरकार ने उनके एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल का हिस्सा बनने के लिए सहमति दे दी है. सूत्रों के मुताबिक जस्टिस सीकरी इन ख़बरों से काफ़ी परेशान हैं. उन्होंने विधि सचिव को एक पत्र में लिखा है कि वो हाल की कुछ घटनाओं से काफ़ी दुखी हैं. सूत्रों के मुताबिक उन्होंने लिखा कि मैंने दिसंबर में कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल के लिए अपनी सहमति दे दी थी और उसके बाद से कोई सुनवाई नहीं की.

जस्टिस सीकरी ने कहा कि मुझे बताया गया कि इस काम में प्रशासनिक विवादों का निपटारा करना होता है और उसके लिए कोई नियमित वेतन नहीं है, लेकिन हाल में जिस तरह के विवाद को हवा दी गई और जो घटनाएं हुईं उन्होंने मुझे काफ़ी दुखी कर दिया है. मैं इस ट्राइब्यूनल में जाने के लिए दी गई अपनी सहमति वापस लेता हूं. कृपया इस प्रस्ताव को आगे ना बढ़ाएं. आपको बता दें कि इस आलोक वर्मा को हटाने के बाद जस्टिस एके सीकरी की भूमिका को लेकर चल रही बातचीत के बीच एक दिन पहले ही जस्टिस काटजू जस्टिस सीकरी के पक्ष में खड़े नजर आए. उन्होंने कहा कि मुझे रिश्तेदारों और दोस्तों से जस्टिस सीकरी के बारे में पूछताछ के लिए कई टेलीफोन कॉल आए. 'मैं जस्टिस सीकरी को अच्छी तरह से जानता हूं क्योंकि मैं दिल्ली उच्च न्यायालय में उनका मुख्य न्यायाधीश था और मैं उनकी ईमानदारी की गारंटी ले सकता हूं. उन्होंने तब तक निर्णय नहीं लिया होगा, जब तक उन्हें आलोक वर्मा के खिलाफ रिकॉर्ड में कुछ मजबूत तथ्य नहीं मिले होंगे. वह तथ्य क्या हैं मुझे नहीं पता. लेकिन मैं जस्टिस सीकरी को जानता हूं, और व्यक्तिगत तौर पर कह सकता हूं कि वह किसी से भी प्रभावित नहीं हो सकते. जो भी उनके बारे में कहा जा रहा है वह गलत और अनुचित है.'