लखनऊ: 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के अंतर्गत क्लाइमेट एजेंडा द्वारा लखनऊ में आज उच्च क्षमता वाले फिल्टर युक्त एक जोड़ा कृत्रिम फेफड़ा लखनऊ के लालबाग क्षेत्र में नगर निगम कार्यालय के सामने स्थापित किया गया. मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के गंभीर प्रभाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने वाले इन कृत्रिम फेफड़ों के साथ 10 दिवसीय गतिविधियों का उदघाटन लखनऊ की महापौर संयुक्ता भाटिया, श्वसन विभाग केजीएमयू के अध्यक्ष डा सूर्य कान्त, नगर आयुक्त डा इन्द्रमणि त्रिपाठी और क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर के प्रारम्भिक वक्तव्य के साथ हुआ.

इस अवसर पर संयुक्ता भाटिया ने कहा “इन कृत्रिम फेफड़ों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को प्रदर्शित करते हुए समाज में जागरूकता लाने के प्रयास की प्रशंसनीय है. हर वर्ष लखनऊ की हवा काफी प्रदूषित हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है. वायु प्रदूषण अब हमारे स्वास्थ्य व खुशहाली के खिलाफ एक बड़ा खतरा बन चुका है. सौर ऊर्जा, स्वच्छ ऊर्जा आधारित मजबूत सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, एवं स्वच्छता से ही हमारे शहर की हवा स्वच्छ की जा सकती है.” महापौर ने आशा जताई कि इन कृत्रिम फेफड़ों की सहायता से स्वच्छ हवा के लिए लखनऊ का संघर्ष जरूर अच्छे परिणाम देगा.

इस पहल के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए एकता शेखर ने कहा “ आज स्थापित किये गए कृत्रिम फेफड़ो को बनाने में अति उच्च क्षमता वाले फिल्टर का उपयोग किया गया है, जो प्रदूषण के प्रभाव में आ कर कुछ दिनों में स्वतः काले हो जायेंगे. ऐसा कर के हम यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वायु प्रदूषण हमारे फेफड़ों और स्वास्थ्य पर कितना बुरा प्रभाव डालता है. हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार केवल उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 में 2 लाख 60 हज़ार से अधिक व देश भर में 12 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी. यह गतिविधि आम लोगों को अपने बीच मौजूद लेकिन अदृश्य खतरे को देखने समझने में एवं इसका समाधान अपनाने में सहायता करेगा. जबकि विद्युत् वाहन, सौर ऊर्जा आदि के रूप में समाधान हमारे बीच में तो हैं, लेकिन इन्हें आम जनता एवं सरकार प्रदूषण के समाधान के रूप में नहीं देखती.”

इस अवसर पर शहर में प्रदूषण मुक्त लखनऊ अभियान के संयोजक डा सूर्य कान्त ने कहा “ उच्च गुणवत्ता वाले फिल्टर और पंखों के उपयोग से बनये गए फेफड़े वास्तविक फेफड़ों की तरह ही कार्य करते हैं. वायु प्रदूषण के असर से अगले दस दिनों में इनका काला हो जाना आम लोगों को प्रदूषण के असर को बारीकी से देखने समझने में सहयोग करेगा. धुम्रपान ना करने वालों के फेफड़े भी स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान अब काले दिखने लगे हैं, इसका अर्थ यह हुआ कि अब वायु प्रदूषण के खतरनाक प्रभाव को नकारने के बजाये स्वच्छ हवा को स्वच्छ भारत मिशन का अहम् हिस्सा बनाए जाने का वक्त आ गया है.”

स्वच्छ पर्यावरण के प्रति समर्पित सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान की इस गतिविधि के बारे में नगर आयुक्त डा इन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा “आम लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है, तभी वायु प्रदूषण को हराया जा सकेगा. इसके लिए नगर निगम अपनी ओर से अथक प्रयास कर रहा है, लेकिन शहर की आबोहवा को सांस लेने योग्य स्वच्छ करने के लिए हम सभी को मिल कर काम करना पडेगा. फेफड़ों को स्थापित कर की जा रही ये गतिविधि निश्चित रूप से सकारात्मक परिवर्तन लायेगी.

दस दिवसीय इस कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में शहर के जाने माने नागरिकों के अलावे विभिन्न शोधार्थी व सामाजिक संगठनों के सदस्य शामिल हुए. अगले दस दिनों तक शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे.