अयोध्या के राम मंदिर/बाबरी मस्जिद मामले की अगली सुनवाई प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ करेगी। इस पीठ में चार अन्य जस्टिस एसए बोबडे, एनवी रमन्ना, यूयू ललित और डीवाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे। मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी को होनी है। बीती चार जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि 10 जनवरी को मामले की सुनवाई उपयुक्त बेंच करेगी। पिछली दफा एक मिनट से भी कम सुनवाई चली थी। इससे पहले पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने की मांग को ठुकरा दिया था। बता दें कि मंदिर विवाद को लेकर 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं दर्ज की गई थीं। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बराबर बांटने का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने विवादित भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निरमोही अखाड़ा और राम लला के बीच बांटने का फैसला सुनाया था। पिछले वर्ष 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जनवरी के पहले हफ्ते में मामले की सुनवाई उपयुक्त बेंच करेगी। इसके बाद मामले की जल्द सुनवाई के लिए अदालत में अर्जी दी गई थी लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा था कि 29 अक्टूबर की सुनवाई में पहले ही मामले को लेकर आदेश दिया जा चुका है।

अखिल भारत हिंदू महासभा (ABHM) ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी जो इस मामले में मूल मुकदमाबाजों में से एक एम सिद्दीक के कानूनी वारिसों द्वारा दायर अपील में उत्तरदाताओं में से एक है। बता दें कि राम मंदिर को लेकर तमाम हिंदूवादी संगठन लगातार आवाज बुलंद कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) सरसंघचालक मोहन भागवत मोदी सरकार से अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण शुरू कराने का आह्वान कर चुके हैं। वहीं, हाल में समाचार एजेंसी एएनआई को दिए विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया कि सरकार अध्यादेश लाकर मंदिर नहीं बनवाएगी।

पीएम मोदी ने कहा था कि मामला अदालत में है और फैसला आने के बाद ही सरकार किसी नतीजे पर पहुंच सकती है। वहीं 31 जनवरी और एक फरवरी को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद मंदिर निर्माण को लेकर धर्म सभा का आयोजन करने वाली