मुंबई: मुंबई की विशेष अदालत ने शनिवार को भारतीय कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा घोषित किया है।इसके साथ ही कोर्ट ने माल्या को आर्थिक अपराधी भी घोषित किया है। बता दें कि इससे पहले भगौड़े भारतीय कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन के कोर्ट ने मंजूरी दे दी है । ब्रिटेन कोर्ट ने कहा था कि तड़क-भड़क की जिंदगी जीने वाले इस अरबपति कारोबारी ने अपने वित्तीय लेनदेन का काफी ''गलत ब्योरा दिया'' और बैंकों के कर्ज का दूसरे कामों में इस्तेमाल किया है।

इसके बाद से इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेन्द्र मोदी सरकार विजय माल्या को भारत वापस ला सकती है। अमित शाह ने तो इस पूरे मामले यह तक कह दिया था कि इसका पूरा श्रेय पीएम नरेन्द्र मोदी को जाता है। लेकिन आपको बता दें ऐसा बिल्कुल नहीं है कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण को ब्रिटेन कोर्ट की मंजूरी के बाद भारत वापस लाया जा सकता है। माल्या के पास अब भी एक ऑप्शन है। विजय माल्या लंदन के मैजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं। हाई कोर्ट में अपील करने के लिए माल्या के पास 14 दिनों का वक्त होगा।

अगर संबंधित व्यक्ति अपील नहीं करता और विदेश मंत्री अदालत के फैसले से सहमत होते हैं तो वह व्यक्ति 28 दिनों के भीतर प्रत्यर्पित कर दिया जाता है। माल्या यूके सुप्रीम कोर्ट में उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं लेकिन वह केवल तभी ऐसा कर सकता है जब उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट उसे करने की अनुमति देता है।

इससे पहले कोर्ट में सुनवाई के लिए जाते हुए माल्या ने कहा था, "जो भी जजमेंट आएगा मेरी लीगल टीम उसका अध्ययन करेगी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत अदालती आदेश पर तेजी से क्रियान्वयन के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ काम करेगा। कुमार ने कहा, ''हमने फैसले पर गहरी संतुष्टि जाहिर की है और आज फैसला हो गया। हम इस मामले में मदद के लिए ब्रिटेन के प्रशासन को धन्यवाद देते हैं।"

इस समय ब्रिटेन में रह रहे 62 वर्षीय विजय माल्या पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से जमानत पर चल रहे हैं। उन पर भारतीय बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है और साथ ही किंगफिशर एयरलाइन के लिए बैंकों से कर्ज में हेराफेरी और मनी लांड्रिंग का भी आरोप है। यह एयरलाइन बंद हो चुकी है।

ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत की मुख्य मजिस्ट्रेट जज एम्मा आबुथनॉट ने माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी ताकि उनके खिलाफ भारतीय जांच एजेंसियों केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के आधार पर मुकदमा चलाया जा सके। इसके अलावा अदालत ने पाया कि माल्या कर्ज कर्ज में गोलमाल के आरोप से नहीं बच सकते क्यों कि बैंक से कर्ज किसी और काम के लिए लिया गया था और इस्तेमाल किया गया किसी और जगह।