यूपी में एनडीए की सहयोगी ने भाजपा को दिया अल्टीमेटम

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश एनडीए में पिछले कुछ महीनों से खटपट जारी है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अब भाजपा को अल्टीमेटम थमा दिया है और कहा है कि अगर 100 दिनों के अंदर भाजपा सरकार ने ओबीसी रिजर्वेशन में बंटवारा नहीं किया तो वह गठबंधन तोड़ देंगे। बता दें कि पिछड़ा वर्ग से आने वाले पिछड़ा कल्याण मंत्री राजभर पहले से ही ओबीसी आरक्षण में बंटवारे की मांग करते रहे हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने भाजपा से गठबंधन किया था, तब इसका वादा किया गया था लेकिन अब भाजपा अपना वादा नहीं निभा रही है।

बता दें कि ओबीसी समुदाय को सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। राजभर चाहते हैं कि ओबीसी की अन्य जातियों के बीच मौजूदा 27 फीसदी आरक्षण का भी बंटवारा यानी कोटे के अंदर कोटा फिक्स किया जाय। ताकि समुदाय के कमजोर पिछड़ी जातियों को उनका हक मिल सके। कई पिछड़े नेताओं का आरोप रहा है कि 27 फीसदी आरक्षण का लाभ ओबीसी की तेज तर्रार जातियां (यादव, कोईरी, कुर्मी, पटेल आदि) उठा लेती हैं जबकि सामाजिक रूप से अधिक पिछड़े ओबीसी समुदाय के लोग आरक्षण का लाभ नहीं ले पाते हैं।

दरअसल, राजभर, अन्य पिछड़ी जातियों के अंदर अधिक पिछड़ी जातियों को कोटा का लाभ देकर उनके वोट बैंक पर कब्जा चाहते हैं। इन जातियों में निषाद, बिन्द, मल्लाह, केवट, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, गौड़, मांझी, कश्यप आदि आती हैं। इन जातियों समेत कुल 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की भी मांग होती रही है। इस पर विचार के लिए यूपी सरकार ने एक समिति बनाई थी। पिछले साल अति पिछड़ा सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट योगी सरकार को सौंप दी थी लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। चुनावी मौसम को देखते हुए एक बार फिर से ओबीसी आरक्षण के अंदर बंटवारे का मुद्दा गर्म है।

बता दें कि समिति ने ओबीसी के साथ-साथ एससी/एसटी रिजर्वेशन में भी बंटवारे की सिफारिश करते हुए आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का फार्मूला सुझाया है। सिफारिश के मुताबिक ओबीसी के अंदर पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग बनाने का प्रस्ताव है।यानी 27 फीसदी आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में 9-9 फीसदी बांटने की सिफारिश का गई है। समिति ने 12 जातियों को पिछड़ा, 59 जातियों को अति पिछड़ा और 79 जातियों को सर्वाधिक पिछड़ों की श्रेणी में रखने की सिफारिश की थी। ऐसा होने पर प्रदेश में यादव, ग्वाल, सुनार, कुर्मी समेत 12 जातियां पिछड़ा वर्ग के कुल 27 प्रतिशत आरक्षण में से एक तिहाई आरक्षण पर सिमट जाएंगी। इसका मतलब ये हुआ कि अगर पिछड़ा वर्ग की तीन श्रेणियों में 27 पदों पर भर्तियां होनी है तो पिछड़ा वर्ग में रखी गई 12 जातियों को कुल 9 पद ही मिलेंगे। बाकी 18 पद अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को मिलेंगी।