पैग़म्बरे इस्लाम की  राजनीतिक और सामाजिक सीरत पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन 

नई दिल्ली: अलमुस्तफा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, अलमुस्तफा इस्लामिक रिसर्च सोसाइटी और अलमुस्तफा फाउंडेशन की ओर से ऐवाने ग़ालिब नई दिल्ली में पैग़म्बरे इस्लाम की  राजनीतिक और सामाजिक सीरत पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश से आए वक्ताओं हुज़ूरे  पाक की राजनीतिक और सामाजिक सीरत के बारे में तकरीरें  कीं और लेख प्रस्तुत किए। सेमिनार तीन हिस्सों में हुआ , उद्घाटन में तिलावत कुरान के बाद अलमुस्तफा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि डॉक्टर गुलाम रज़ा मौतवी ने विद्वानों, बुद्धिजीवियों और  दर्शकों का शुक्रिया अदा करते हुए सरकार की सीरत-ए-तैयबा को विश्व  मानवता के लिए मार्गदर्शक करार देते हुए कहा कि पैगम्बर अकरम की ज़ात  सभी मुसलमानों के लिए एक मरकज़े वहदत  है और दुनिया में दुश्मनाने इस्लाम की साजिशों को नाकाम करने के लिए आवश्यक है कि हम हुज़ूरे पाक  की शैली से मानव समाज को अधिक से अधिक परिचित कराने  की कोशिश, पूरी दुनिया में  आज जिस तरह मानवता इस्लामी शिक्षाओं और सिद्धांतों की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है और बर्बादी से बचने और आध्यात्मिक शांति के लिए उसके दामन में तेजी से शरण ले रही है उसने  इस्लाम दुश्मनों को निराशा का शिकार बनाया इसी लिए वह अंदर से अपने खरीदे हुए आतंकवादी समूहों की दरिंदगी-बाहर से अपमानजनक कदम द्वारा इस्लाम और पैग़म्बरे इस्लाम (स।) की नूरानी भूमिका से मानवता को दूर करना चाहते हैं जो संभव नहीं है इसलिए कि इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद मानवता को शांति और  भाईचारा का  जो संदेश दिया है वह कभी मिट नहीं सकता, इस्लामी प्रभुसत्ता की स्थापना के बाद आपने  सबसे पहले लोगों के रंग व नस्ल  के अंतर को मिटाकर उनके बीच भाईचारे का रिश्ता कायम किया। प्रोफेसर शाह मोहम्मद वसीम ने पैग़म्बरे इस्लाम की सीरत किरदार पर  रोशनी डालते हुए कहा  कि किस तरह आपने  छोटी अवधि में एक जाहिल, विद्रोही, पिछड़े और मानवता के  सिद्धांतों से अज्ञान लोगों  को अपनी शिक्षा और क़ूवते किरदार  द्वारा एक महान और शक्तिशाली और मानवीय सिद्धांतों की रक्षा करने वाली क़ौम  में बदल दिया। 

सेमिनार के दुसरे हिस्से  में पैग़म्बरे इस्लाम के राजनीतिक और सामाजिक शैली के विषय पर लेख प्रस्तुत किए गए जिसमें मौलाना नाजिम अली खैराबादी, मौलाना मोहम्मद जाबिर जूरासी, प्रोफेसर गुलाम याहया अंजुम, डॉ मोहम्मद अहमद नईम, मौलाना डॉक्टर अली सलमान, मौलाना तक़ी अब्बास रिजवी, मौलाना कमील अब्बास आदि ने अपने  लेख प्रस्तुत किए, इस सेमिनार के समापन सत्र की शुरुआत शाम 4 बजे हुई  जिसमें  श्री मेहदी मौतवी जयपुर ने अपने भाषण में मुसलमानों को जागरूक सावधान रहने और  पैग़म्बर अकरम की  सीरत व शिक्षाओं पर पालन करने की ताकीद करते हुए फ़रमाया पैगम्बर मोहम्मद ने अपने शासनकाल में अंतरराष्ट्रीय संपर्कों धार्मिक अल्पसंख्यकों खासकर ईसाइयों और यहूदियों से जो मानवता का  व्यवहार बरता और उन्हें जो अधिकार प्रदान किए उनकी व्याख्या और प्रचार अत्यंत आवश्यक है ताकि दुनिया भर में हकीकत खोज रहे लोग सीरत-ए-तैयबा की रोशनी में इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में  दृष्टिकोण स्थापित करें न कि दुश्मनाने इस्लाम की जहर भरी तहरीरों, गस्ताखाना हरकतों द्वारा ज़लालत के रास्ते पर चले जाएं। मौलाना मुमताज अली इमाम जुमा  इमामिया  हॉल, दिल्ली, मौलाना गुलाम मुस्तफा नईम ने भी सीरत-ए-तैयबा के हवाले से संबोधित किया। सेमीनार  में भारी संख्या में विद्वानों, विचारकों औरऔर मोमेनीन ने भाग लिया ।