नई दिल्ली: पूरे नगालैंड राज्य को विवादास्पद अफ्सपा के तहत और छह महीने यानि जून अंत तक के लिए ‘‘अशांत क्षेत्र’’ घोषित कर दिया गया है। अफ्सपा सुरक्षा बलों को किसी भी जगह अभियान संचालित करने और बिना किसी पूर्व सूचना के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार का विचार है कि पूरा नगालैंड राज्य क्षेत्र ऐसी अशांत एवं खतरनाक स्थिति में है कि प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल जरूरी है।

अधिसूचना में कहा गया है, ‘ऐसे में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून, 1958 (1958 के नम्बर 28) की धारा तीन के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार इसके द्वारा घोषणा करती है कि पूरा उपरोक्त राज्य उस कानून के उद्देश्य से 30 दिसम्बर 2018 से छह महीने की अवधि के लिए एक ‘अशांत क्षेत्र’ रहेगा।’

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नगालैंड को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित रखने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हत्या, लूट और उगाही जारी है। इसके चलते वहां तैनात सुरक्षा बलों की सुविधा के लिए यह कदम जरूरी हो गया।पूर्वोत्तर के साथ ही जम्मू कश्मीर के भी विभिन्न संगठनों की ओर से विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून रद्द करने की मांग की जाती रही है। संगठनों का कहना है कि यह सुरक्षा बलों को ‘‘व्यापक अधिकार’ देता है।

अफ्सपा नगालैंड में दशकों से लागू है। इसे नगा उग्रवादी समूह एनएससीएन..आईएम महासचिव टी मुइवा और सरकार के वार्ताकार आर एन रवि के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में तीन अगस्त 2015 को एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भी नहीं हटाया गया। रूपरेखा समझौता 18 वर्षों तक 80 दौर की वार्ताओं के बाद हुआ था। इसमें पहली सफलता 1997 में तब मिली थी जब नगालैंड में दशकों के उग्रवाद के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ था।