नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में पीएम मोदी की रैली के बाद उग्र भीड़ द्वारा हिंसा में पुलिस कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स की हत्या पर पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है. अखिलेश यादव ने गाजीपुर हिंसा मामले पर दुख जताया और इसके लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया. अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसी घटनाएं इसलिए होती हैं क्योंकि सीएम की हमेशा एक ही भाषा होती है ठोक दो. बता दें कि शनिवार को गाजीपुर में पीएम मोदी की रैली के बाद प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया था, जिसमें ड्यूटी से लौट रहे सुरेश वत्स की मौत हो गई.

गाजीपुर में पथराव और उसकी वजह से सुरेश वत्स की मौत पर अखिलेश यादव ने कहा कि यह घटना इसलिए घटी क्योंकि सीएम सदन में हों या मंच पर हों, उनकी एक ही भाषा है- 'ठोक दो'. कभी पुलिस को नहीं समझ आता कि किसे ठोकना है, तो कभी जनता को नहीं समझ आता कि किसे 'ठोकना' है. बता दें कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में पीएम मोदी की रैली के बाद उग्र भीड़ द्वारा पथराव में पुलिस कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स की हत्या मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

दरअसल, कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स पीएम मोदी की रैली के वक्त ड्यूटी पर थे और रैली खत्म होने के बाद जब लौट रहे थे, तभी प्रदर्शनकारी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया, जिससे उनकी मौत हो गई. कॉन्स्टेबल की मौत के मामले में 32 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है. वहीं, मृतक कॉन्स्टेबल सुरेश वत्स के बेटे वीपी सिंह ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिए. बताया जा रहा है कि पुलिस कॉन्स्टेबल की मौत निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा कथिततौर पर पत्थरबाजी से हुई है.

हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृत सिपाही के परिजनों को 50 लाख रूपये की आर्थिक सहायता, एक परिजन को नौकरी तथा असाधारण पेंशन दिये जाने के निर्देश दिये हैं. वहीं, कांग्रेस ने गाजीपुर में भीड़ के पथराव के दौरान पुलिस के एक कॉन्स्टेबल की मौत को लेकर शनिवार को प्रदेश सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ के ‘जंगल राज' में न लोग सुरक्षित हैं और न ही पुलिस. घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'आदित्यनाथ के महा जंगल राज में न लोग सुरक्षित हैं न ही पुलिस.' उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'भाजपा के राज में लोकतंत्र भीड़तंत्र के बराबर है.'