लखनऊ। कर्मचारी, शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच द्वारा पुरानी पेंशन बहाली की एक सूत्री मांग को लेकर इकों गार्डन में लाखों की संख्या में 08 सितम्बर 18 पहुंचे कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारियों की उपस्थिति में हड़ताल की पूरजोर मांग बीच मचं के नेताओं को मुख्य मंत्री स्तर पर वार्ता के उपरान्त सरकार ने एक समिति बनाते हुए दों माह का समय मांगा था। इस समिति का कार्यकाल 25 दिसम्बर को पूरा होने के साथ ही इसकी अंतिम बैठक 27 दिसम्बर को सम्पन्न हुई। इस बीच सभी बैठकों में शासन के नकारात्मक रूख का ज्रिक करते हुए मंच के नेताओं ने लिखित और मौखिक रूप पर अपना विरोध मुख्य सचिव को दर्ज कराया था। समिति की अंतिम बैठक के उपरान्त आज के मंच के अध्यक्ष डा. दिनेश चन्द शर्मा और संरक्षक हरिकिशोर तिवारी ने सीधे मुख्यमंत्री को सम्बोधित पत्र के माध्यम से एक सप्ताह का समय देते हुए इस मामले में ‘‘ राजनैतिक बिल पावर ’’ का प्रयोग करने की अपेक्षा करते हुए जनवरी के प्रथम सप्ताह में ही बैठक कर हड़ताल की घोषणा कर निर्णय लिया है। मंच के नेताओं ने यह भी कहा कि हड़ताल का पूरा उत्तरादायित्व सरकार पर होगा क्योकि पुरानी पेंषन बहाली के लिए बनी समिति का हवाला उच्च न्यायालय में प्रदेष सरकार दे चुकी है।

मंच के मीडिया प्रभारी मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए हुई प्रान्तीय रैली के उपरान्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कर्मचारी और शिक्षक नेताओं के प्रतिनिधि तथा शासन के आला अफसरों की एक आठ सदस्यीय समिति बनाई गई थी। अंतिम चरण की बैठक में मंच के नेताओं के अनुरोध पर मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी को भी इस समिति का नौंवा सदस्य नामिति किया था। यह समिति अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक, अध्यक्ष पीएफआरडीए की सहमति के उपरान्त उनके प्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव-नियोजन, अपर मुख्य सचिव-वित्त, प्रमुख सचिव-न्याय को सदस्य और निदेशक-पेंशन को सदस्य सचिव तथा कर्मचारी शिक्षक-अधिकारी मंच की तरफ से डा. दिनेश चन्द शर्मा और हरि किशोर तिवारी को विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया था। इन दो माह के अंदर जो भी बैठक हुई उसमें मंच के नेताओं ने अपना पक्ष पुरजोर तरीके से रखा। मंच द्वारा मुख्य सचिव के समक्ष पुरजोर तरीके से यह तर्क रखा गया कि नई पेंषन योजना 13 वर्षो तक सही स्थिति में नही आ पाई है उस पर विश्वास नही किया जा सकता। ऐसी स्थिति में कर्मचारी और शिक्षकों के साथ अधिकारी संवर्ग को 01 अप्रैल 2005 से पूर्व लागू पुरानी पेंशन योजना ही स्वीकार होगी। मंच की तरफ से इस मामले समिति का तयशुदा समय समाप्त होने तथा कोई निर्णय न होने के स्थिति पर सीधे मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया कि नई पेंशन व्यवस्था विगत 14 वर्षों में फलीभूत न हो सकी। ऐसे में कार्मिकों का सेवानिवृत्त भविष्य अनिश्चितता से परिपूर्ण है। लोग सेवानिवृत्ति के बाद 700 और 800 रूपये प्रतिमाह पेंशन पाते दिखाई पड़ रहे है। जबकि सरकार कह रही है कि नई पेंशन में कर्मचारियों को पहले से अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2014 के संसदीय चुनाव से पूर्व नोटा प्रयोग करने के तहत आप सहित प्रधानमंत्री श्री मोदी और तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्तमान गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह भी सहमत होते हुए वादा किया गया था लेकिन पाॅच वर्ष बीतने के बाद भी कोई निर्णय नही लिया गया। प्रान्तीय रैली में आपके हस्तक्षेप के उपरान्त उसी दिन उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा और मुख्य सचिव डा. अनुप चन्द पाण्डेय के बीच विचार विमर्श किया गया तब से अब तक आपके निर्देश पर बनी समिति और मुख्य सचिव स्तर पर लगातार मंच के नेताओं द्वारा वार्ता और बैठके जारी रही लेकिन अंतिम बैठक तक शासन का रूख पुरानी पेंशन बहाली प्रकरण पर नकारात्मक रहा। समिति का कार्यकाल 24 दिसम्बर को खत्म होने के उपरान्त अन्तिम बैठक 27 दिसम्बर को हो चुकी है। यह बैठक भी निराशाजनक रही। ऐसे में आपके स्तर पर एक सप्ताह यानि 2 जनवरी 2019 तक अपने स्तर पर आपसे अनुरोध है कि ‘‘राजनैतिक बिल पावर ’’ का इस्तेमाल करते हुए प्रदेश के लाखों कर्मचारी शिक्षक और अधिकारियों के पक्ष में निर्णय लेते हुए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा की जाए। अगर ऐसा निर्णय नही होता तो न चाहते हुए भी कर्मचारी, शिक्षक अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली मंच 15 जनवरी से पूर्व हड़ताल की तिथि तय कर देगा।