लखनऊः नोटा यदि चुनाव जीते तो उस लोकसभा या विधान सभा सीट में दोबारा चुनाव कराये जाये ये विचार एडीआर के प्रदेश समन्वयक अनिल शर्मा ने व्यक्त किये, वो आज प्रादेशिक स्टाफ प्रशिक्षण एवं शोध केन्द्र में एडीआर एवं यूपी इलेक्शन वाॅंच के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित चुनाव सुधार एवं मतदाता संवाद विषयक सगोष्ठि में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। श्री शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी0 एन0 शेषन के बाद चुनाव आयोग एवं एडीआर ने चुनाव सुधारो के लिए बहुत कार्य किया। श्री शर्मा ने कहा कि एडीआर की वर्ष 1999 की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2000 में प्रत्याशियो से शपथ पत्र लेने का काम शुरू किया था। श्री शर्मा ने कहा कि 24 वर्षो की कानूनी लड़ाई के बात वर्ष 2014 में मतदाताओ को नोटा का अधिकार मिला हैा । लेकिन संसद में साढे चार साल बीत जाने के बाद भी मतदाताओ के हित में यह कानून नहीं बना कि यदि नोटा जीते तो उस सीट पर दोबारा चुनाव कराये जाये। उन्होने कहा कि जब कभी भी ऐसा होगा तो बहुत ही क्रान्तिकारी बात होगी। क्योकि इससे कर्मठ हो ईमानदार हो भले ही गरीब हो उनको चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा।

एडीआर सयोजक मनीष गुप्ता ने कहा कि आज आज बाहूबली और धनबली प्रत्याशी हर पार्टी में छाये हुए है और ईमानदार और गरीब कार्यकर्ता हाशिये पर चला गया है इसलिए जरूरी है कि केन्द्र सरकार एक बजट चुनाव आयोग को उपलब्ध कराये ताकि किसी प्रत्याशी का चुनाव में एक धेला भी खर्च न हो।
एडीआर के समन्वयक सन्तोष श्रीवास्तव ने कहा कि आजादी के 71 वर्ष बाद भी मतदाताओ को अपने जन प्रतिनिधियो के वेतन भत्ते, निधियां, पेंशन या अन्य सुविधाओ के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जिसका परिणाम है कि आज संसदो से ज्यादा विधायको को वेतन भत्ते व पेंशन मिल रही है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे केन्द्र के प्रशिक्षण अधिकारी बी0एन0 श्रीवास्तव ने कहा कि संसद और विधान सभाओ में जनता के हित में नियम कानून बनाने के लिए जो करोड़ो रूपये खर्च होता है उसकी जगह पक्ष और विपक्ष व्यर्थ की बहसो तथा वाकआउट आदि करने में ही खर्च हो जाता है। यदि ये रूपया जनता के हित में लगे तो काफी विकास हो सकता है।

इस अवसर पर शोध छात्र पवन दूबे, रविन्द्र, जीतेन्द्र आलोक वर्मा, लालमन पटेल, सत्यप्रकाश, गोविन्द, शंकर शुक्ला ज्ञानेन्द्र, ईमरान,सदीप,नजमुल साहित सभी शोध छात्रो ने नैतिकता के आधार पर जन प्रतिनिधियो की पेंशन बन्द किये जाने, चुनाव आयोग को स्वायत्तशाषी संस्था बनाने, सांसद और विधायक निधि पर निगरानी समिति बनाने, नोटा के जीते पर उस सीट पर पूना चुनाव कराने तथा मांग पत्र बनाने के प्रस्ताव पारित किये।

इस संगोष्ठि की अध्यक्षता बी0एन0 श्रीवास्तव ने, संचालन मनीष गुप्ता ने तथा आभार एडीआर के शंकर शुक्ला ने व्यक्त किया।