नई दिल्ली: 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले के सज्जन कुमार ने आज उच्चतम न्यायालय का रुख किया और दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया फैसले में अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर की। दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और 31 दिसंबर तक उन्हें आत्मसमर्पण करने को कहा था। बता दें कि सन 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में सबसे मुख्य आरोपी के नाम के तौर पर सज्जन कुमार का नाम आ चुका है। 2012 में सीबीआई प्रोसीक्यूटर ने दिल्ली हाई कोर्ट के सामने ये कहा था कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने ही इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगों को भड़काया था। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में उन पर पांच अन्य लोगों के साथ मिलकर पांच सिखों की हत्या करने का आरोप लगाया था। ये लोग थे केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह।

सज्जन कुमार को पार्षद से सीधे लोकसभा का टिकट मिला और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्मप्रकाश को हराकर संसद पहुंचे। हालांकि 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद के दंगों की आंच उनके राजनीतिक करियर पर भी आई थी। उसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिख वोट बचाने के लिए आरोपी सज्जन कुमार का टिकट काट दिया था। इतना ही नहीं सिख वोट बचाने के लिए साल 1989 में भी उन्हें कांग्रेस का टिकट नहीं मिला लेकिन 1991 में बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से उन्हें आखिरकार टिकट मिला और वे जीतकर आए। इस बीच सिख दंगों को लेकर चर्चा काफी गर्म रही।

पिछले महीने पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की एक गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था। चाम ने बयान दिया था- घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने वहां मौजूद दंगाइयों से कहा था कि सिखों ने हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना। बाद में भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता का कत्ल कर दिया। हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा तीन अन्य दोषियों- कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कांग्रेस के पार्षद बलवान खोखर की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। बाकी दो दोषियों- पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी थी।